भगवान श्रीकृष्ण की बाल हठ से माता यशोदा को भी हार माननी पड़ती थी. माता श्रीकृष्ण को कभी गाय चराने नहीं जाने देती थीं, लेकिन एक दिन कृष्ण ने गाय चराने की जिद पर अड़ गए. तब मां यशोदा ऋषि शांडिल्य से मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए श्रीकृष्ण को गाय चराने भेजा. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी को भगवान पहली बार गाय चराने गए थे. इसी उपलक्ष्य में गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. Read More – T20 World Cup 2022 : आज आयरलैंड से भिड़ेगी ऑस्ट्रेलिया, जानिए कैसा रहेगा मौसम…

गोपाष्टमी पूजा विधि

गोपाष्टमी के दिन गाय और बछड़ा को स्नान करवाकर उनका पूजन व श्रृंगार करना चाहिए. इसके बाद उनकी आरती उतारनी चाहिए और हाथ जोड़कर अभिवादन करना चाहिए. इसके बाद गाय की पूरे परिवार के साथ परिक्रमा करनी चाहिए और हरा चारा खिलाना चाहिए. अगर घर में गाय नहीं है तो गाय को घर के मुख्य द्वार पर बुलाकर उनको स्नान कराने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. Read More – ऐसे लगाएं Eye Liner, आंखों में दिखेगाी गजब की खूबसूरत …

गीता में भगवान कृष्ण स्वयं कहा है कि ‘गवां मध्ये वसाम्यहम्’ अर्थात मैं गायों के बीच में ही रहता है. इस दिन गायों के साथ भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है. जिन बहनों के भाई नहीं होते हैं, वे इस दिन गायों को भाई दूज का तिलक लगाती हैं.