सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आज मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बूथ कार्यकर्ताओं से बातचीत की। कार्यक्रम में देशभर से पहुंचे कार्यकर्ताओं ने पीएम मोदी से सवाल पूछे। मोदी ने सभी कार्यकर्ताओं के सावलों के जवाब दिए। पीएम मोदी से अलग अलग राज्यों के 6 कार्यकर्ताओं ने सवाल पूछे। पीएम मोदी से सवाल-जवाब के अंश इस प्रकार है।

प्रश्न: 1 – (राम पटेल, दमोह, मप्र – बूथ 171) आपने भी खुद मण्डल स्तर पर कार्यकर्ता बनकर काम किया है, ऐसे में आप राजनीति के अतिरिक्त सामाजिक जुड़ाव को कैसे देखते हैं?

उत्तर – मुझे अच्छा लगा कि आप रोज की राजनीति के बजाय कुछ और लाए हैं। जो एक बूथ होता है, वो अपने आप में एक बहुत बड़ी इकाई है। हमें कभी भी बूथ की इकाई को छोटा नहीं समझना चाहिए। हमें अपने बूथ में राजनीतिक कार्यकर्ता से ऊपर उठकर समाज के सुख दुख के साथी के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहिए। बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जिसमें जमीन का फीडबैक बहुत जरूरी होता है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कोई नीति बनाता है, तो बूथ कार्यकर्ता की दी हुई जानकारी बहुत बड़ी ताकत होती है। हम उन में से नहीं हैं जो एसी कमरों में बैठकर पार्टी चलाते और फतवा निकालते हैं। हम गर्मी, बारिश, ठंड में जनता के बीच जाकर खुद को खपाने वाले लोग हैं। इस वजह से बूथ का बहुत मजबूत होना स्वाभाविक है। अगर ये बूथ कमेटी नहीं होती, तो उज्जवला योजना का विचार ही नहीं आता! आपके सुझाव से नीति बनी और गरीब के घर का चूल्हा जला। भाजपा कार्यकर्ता की पहचान सेवाभाव की होना चाहिए। जो काम लोगों को छोटे लगते हैं, वो बहुत उपयोगी होते हैं। हम एक नियम बनाएं कि अपने बूथ की एक जगह फिक्स करें और अखबार में जो कटिंग आई है, उसे लगा दें। आपकी खबर वहाँ लगेगी, तो लोगों को पता चलेगा। हर दिन एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दो। मैंने एक कार्यकर्ता को देखा कि वह फर्स्ट एड बॉक्स रखता था, लोग उसके पास आते थे। घर में कोई भी तकलीफ पर लोग उसके पास पहुंचते थे। बूथ के अंदर संघर्ष की जरूरत नहीं है, सेवा ही मार्ग होता है। जब आप जनता से जुड़े छोटे-छोटे काम करोगे, तो मुझे विश्वास है कि पूरे बूथ में कोई परिवार नहीं होगा, जो आपसे दूरी करेगा। आपकी पहचान एक समाज सेवक की तरह बने, इसके लिए लगातार बूथ के लिए काम करें।

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प्रश्न – 2: (सल्ला रामकृष्णन, आंध्रप्रदेश) हमारी सरकार केंद्र और प्रदेश स्तर पर काम कर रही है, हम जैसे कार्यकर्ता कैसे बेहतर काम करें?

उत्तर: कार्यकर्ता के दिल में और ज्यादा काम करने की भूख होना, ये भी बहुत बड़ी ताकत है। 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे, भारत विकसित तब होगा, जब गाँव विकसित होगा। हर गाँव का संकल्प बनना चाहिए कि 2047 के पहले हमें अपना कार्यक्षेत्र डेवलप करना है। इसके लिए छोटे-छोटे प्रयास ही बहुत बड़ा असर दिखा सकते हैं। जैसे हमारा गाँव कैसे हरा-भरा हो, स्वच्छता हो, सोलर इनर्जी कैसे बढ़ाएँ। ज्यादा से ज्यादा लोग कैसे सौर ऊर्जा का प्रयोग करें, इसका प्रयास करें। बैंकों से मदद दिलवाएँ, आर्थिक सहयोग कैसे पहुँचे, इस पर काम करें। ड्रॉपआउट रेट आज बहुत कम होता जा रहा है, आप प्रयास करें कि आपके बूथ स्तर पर ड्रॉपआउट हो ही न स्कूलों में। कोई बच्चा स्कूल बीच में ही छोड़ रहा है तो उसके माँ-बाप से मिलें, स्कूल ले जाएं, समस्या पहचानें। अगर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, तो उसकी मदद का प्रयास करें। किसी को कहेंगे कि शुभ अवसर पर कार्यक्रम आँगनवाड़ी में मनाओ। हमें ऐसे तरीके ढूँढना चाहिए। डेयरी का काम हो, तो दूध इकट्ठा कर कुपोषित बच्चों को पिलाओ। मेरा आग्रह है कि हम इन बातों को ज्यादा महत्व दें। अंकुरित मूंग, चना अपने घर में तैयार करें। सरकार से समाज जुड़ता है, तो परिणाम मिलते हैं। 2047 तक भारत को विकसित बनाना है तो ऐसी छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करना होगा। हमारी शिक्षा नीति में बताया गया है कि प्रैक्टिकल लर्निंग ज्यादा जरूरी है। आप किसी स्कूल के मास्टर जी से बात करें कि आज मैं बच्चों को ले जाऊंगा, उन्हें पेड़ दिखाएँ, कभी कुम्हार का काम दिखाएँ। स्कूल जो करता होगा, वो करे लेकिन अगर कार्यकर्ता जुड़ेगा, तो बच्चों के जीवन में बदलाव आएगा। कई हस्तशिल्पी होते हैं, जब बच्चे उनको देखेंगे, तो उनका विश्वास बनेगा। मैं बूथ के भाजपा कार्यकर्ताओं से यही कहूँगा कि आप वहाँ के जनजीवन से जुड़िये। रोजमर्रा की जिंदगी में राजनीति नहीं आगे बढ़ने का इरादा होता है, इसमें आप जुड़िये, तो वो आपके साथ जुड़ेगा।

प्रश्न – 3: (रिपु सिंह, मोतीहारी, बिहार) सरकारी की योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास कैसे पहुँचाएँ?

उत्तर – ये काम हमारे कार्यकर्ता करते आ रहे हैं लेकिन हमें यह काम बेहतर तरीके से करना है। हमारा लक्ष्य 100% सेचुरेशन का है। जैसे गाँव में लोगों को पीएम आवास मिला होगा। जब घर मिल गया है, तो यह देखना चाहिए कि उन्हें मुद्रा योजना का लाभ मिल सकता है क्या? घर मालिक हैं, तो बैंक से पैसा मिल सकता है, इसमें आप मदद कर सकते हैं। आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं, उसे बताइए कि दूसरों को भी इसका लाभ मिला है। पहले जो बीमारी छिपाता था, वह नहीं छिपाएगा। ये काम अगर एक दायित्व समझकर करेंगे, तो सरकार की योजनाओं का सही लोगों को सही समय पर पूरा लाभ मिल सकता है। हमें गरीब को मुसीबत से मुक्त करना है। आप गाँव के लोगों को जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया पर ग्रुप बना सकते हैं, नमो एप्प से जानकारी लेकर दे सकते हैं। जब आप याद कराओगे, तो काम की कीमत समझ में आएगी। आज उज्जवला योजना से गैस कनेक्शन मिलना कितना आसान हो गया है। तुलनात्मक ढंग से काम बताइए। आज 9 करोड़ नए घरों में नल से जल पहुँच गया है। मुझे मध्यप्रदेश के लोग बताते हैं कि लोग पानी की समस्या के कारण अपनी लड़की की शादी नहीं करते थे, आज उनकी शादी हो रही है।

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प्रश्न – 4: (हिमानी वैष्णव, चमोली, उत्तराखंड) पहले सामाजिक न्याय के नाम पर तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया गया लेकिन हमने संतुष्टीकरण पर बल दिया। उनको भी पूछा जिनको किसी ने नहीं पूछा, इस अंतर को हम सामान्यजन को कैसे बताएँ?

उत्तर – कुछ लोग केवल अपने दल के लिए जीते हैं, दल का भला करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार का, कमीशन का मलाई खाने का, कट मनी का हिस्सा मिलता है। उन्होंने जो रास्ता चुना है, उसमें मेहनत नहीं करना पड़ती। यह रास्ता है तुष्टीकरण, वोटबैंक का। गरीब को गरीब बनाए रखने में ही उनकी रोजीरोटी चलती है। यह देश के लिए महाविनाशक होता है, यह देश में विकास को रोकता है, समाज में दीवार खड़ी करता है। एक तरफ इस तरह के लोग अपने स्वार्थ के लिए छोटे-छोटे कुनबे दूसरों के खिलाफ खड़े कर देते हैं, दूसरी तरफ हम भाजपा के लोगों के संस्कार और संकल्प बड़े हैं, हमारी प्राथमिकता देश के लिए है। हम मानते हैं कि देश का भला होगा, तो सबका भला होगा। इसलिए हमने तय किया है कि हमें तुष्टीकरण और वोटबैंक के रास्ते पर नहीं चलना है। हम मानते हैं कि देश का भला करने का रास्ता तुष्टीकरण नहीं है। सच्चा रास्ता है – संतुष्टीकरण!

तुष्टीकरण की राजनीति ने लोगों के बीच में खाई पैदा की

संतुष्टीकरण का रास्ता मेहनत वाला होता है, उसमें पसीना बहाना पड़ता है। अगर बिजली मिलेगी तो सबको मिलेगी, नल से जल का अभियान हर घर तक चलेगा, इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा। जाति, बिरादरी, काका, भतीजावाद नहीं होगा। इसलिए हम संतुष्टीकरण के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। हम देख रहे हैं कि तुष्टीकरण की राजनीति ने लोगों के बीच में खाई पैदा कर दी। हमने देखा कि यूपी में हमारे पासी, कोरी, खटीक भाई बहन राजनीति के शिकार हुए और विकास से वंचित रह गए। बिहार में दलित, महादलित और उसमें भी नई राजनीति! इस कारण एक दूसरे को लोग संशय से देखने लगे। दक्षिण भारत में भी राजनेताओं ने कई समाजों को बर्बाद करके रखा है। केरल में अदीयन, काट्टूनायकन, कोचुवेलन, जेनुकुरुवन जैसी जातियों को विकास के क्रम में पीछे छोड़ दिया गया। कर्नाटक में मलाईपूरी, कोटवालिया, बरोडिया जैसे समाज की उपेक्षा हुई। अनुसूचित जाति वर्ग की भी उपेक्षा हुई। तेलंगाना में कुलिया, चेंचू, मन्नाडोरा, तमिल नाडु में काडर, मुडुगर जैसे समाज को पीछे छोड़ दिया। केरल में अयनवर, तमिल नाडु में माविलन, ठोटी जैसी जातियों का क्या हाल करके रखा है! तेलंगाना में बारीकी, बाबूरी, अखामला, मश्चिमातंगी जाति को बर्बाद कर दिया गया। वोटबैंक की राजनीति में घूमन्तू जातियों की परवाह नहीं की गई। गड़रिया, लोहार जैसी जातियों को भी सरकार की योजना के लाभ से वंचित किया गया। पिछले 9 वर्षों में हमने छोटे-छोटे परिवारों की सुध ली, जिनकी पहले किसी ने सुध नहीं ली थी।

हमारा लक्ष्य है 100% सेचुरेशन!

पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पहली बार बैंक के दरवाजे खोल दिये। इस बार के बजट में पीएम विश्वकर्मा योजना लाए हैं। हमारे विश्वकर्मा साथी जो हाथ और औजार से काम करते हैं, लोहार, सोनार, सुथार, मिस्त्री जैसे साथियों को मदद मिलने वाली है। सामाजिक न्याय के नाम पर वोट मांगने वालों ने सबसे अधिक अन्याय किया है। भाजपा सरकार ने हमारे बंजारा समाज के लिए वेल्फेयर बोर्ड गठित किया, ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया। भाजपा सरकार ही है जिसने पहली बार गरीब परिवार को आरक्षण का लाभ दिया। तुष्टीकरण और संतुष्टीकरण में इतना ही फर्क होता है। हमारा लक्ष्य है 100% सेचुरेशन!

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6: (हेतलबेन जानी, सुरेन्द्रनगर गुजरात) भाजपा के खिलाफ कई दल एकजुट होकर लड़ने की कोशिश कर रहे हैं। आज एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली पार्टी एकजुट होकर नाटक कर रही है, आप इसे कैसे देखते हैं?

उत्तर – ऐसे लोगों पर गुस्सा मत कीजिए, दया कीजिए! हमने 2014 और 2019 का चुनाव देखा है। हाल क्या हुआ था याद है न? भाजपा के जो घोर विरोधी दल हैं, 2014 हो या 2019, वो कितने भी घोर विरोधी थे, इतनी छटपटाहट नहीं दिखी, जितनी आज दिख रही है। जिन लोगों को कुछ लोग पहले अपना दुश्मन बताते थे, पानी पी-पीकर कोसा करते थे, उनको आगे जाकर नतमस्तक हो रहे हैं। ये उनकी मजबूरी है। विपक्षी दलों की हरकतों, घबराहट से साफ है कि देश की जनता ने 2024 के चुनाव में भाजपा को वापस लाने का मन बना लिया है। 2024 में फिर एक बार भाजपा की प्रचंड विजय तय है, इसी वजह से ये सारे विपक्षी दल बौखलाए हुए हैं इसलिए इन्होंने तय किया है कि चुनाव से कुछ महीने पहले किसी भी तरीके से जनता को गुमराह करके कुछ लोगों को बरगलाकर सत्ता हासिल की जाए।

आजकल एक नया शब्द बहुत पॉपुलर किया जा रहा है, वो है गारंटी! बार-बार शब्द आता है गारंटी। भाजपा कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि लोगों को बताएँ कि असल में विपक्षी दल किस चीज की गारंटी है। ये सारे लोग, ये दल गारंटी है भ्रष्टाचार की! ये गारंटी है लाखों, करोड़ों रुपयों के घोटालों की!

कांग्रेस का घोटाला ही अकेले लाखों-करोड़ों का

कुछ दिन पहले इनका फ़ोटो-ओप कार्यक्रम हुआ था। इन बैठक में शामिल दलों के इतिहास को देखेंगे तो पता चलेगा कि वो सब मिलकर के कम से कम 20 लाख करोड़ के घोटालों की गारंटी है। काँग्रेस का घोटाला ही अकेले लाखों-करोड़ों का है। 1.86 लाख करोड़ का कोयला घोटाला, 1.76 लाख करोड़ का 2G घोटाला, 70 हजार करोड़ रुपये का कॉमनवेल्थ घोटाला, 10 हजार करोड़ रुपये का घोटाला, हेलिकॉप्टर से सबमरीन से लेकर ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जो काँग्रेस के घोटालों का शिकार न हुआ हो। आरजेडी देख लीजिए – चारा घोटाला, अलकतरा घोटाला, पशुपालन शेड घोटाला, बाढ़ राहत घोटाला, इनकी सूची इतनी लंबी है कि सजा देते-देते अदालत थक गई। तमिल नाडु में देखिए, डीएमके पर अवैध तरीके से सवा लाख करोड़ की संपत्ति बनाने का आरोप, टीएमसी पर भी 23 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले का आरोप, रोजवैली घोटाला, शारदा घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटाला, गो तस्करी घोटाला, बंगाल के लोग ये घोटाला नहीं भूल सकते! एनसीपी पर 70 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप है। महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाला, सिंचाई, अवैध खनन घोटाला!

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मीटर डाउन नहीं होता

इन पार्टियों के घोटालों का मीटर कभी डाउन नहीं होता! बीजेपी के किसी कार्यकर्ता को कोशिश करना चाहिए कि इन पार्टियों का घोटाला मीटर बनाए! इन पार्टियों के पास घोटालों का ही अनुभव है इसलिए अगर कोई गारंटी है इनकी, तो एक ही गारंटी है और वो है घोटालों की गारंटी। अब देश को तय करना है क्या यह गारंटी देश स्वीकार करेगा? मैं आप के बीच पल कर बड़ा हुआ हूँ, आपने मुझे यहाँ पहुंचाया है।

मैं भी एक गारंटी देता हूँ,

मैं भी एक गारंटी देता हूँ, अगर उनकी घोटालों की गारंटी है तो मोदी की भी गारंटी है! मेरी गारंटी है हर घोटालेबाज पर कार्रवाई की गारंटी। हर चोर-लुटेरे पर कार्रवाई की गारंटी! जिसने गरीब को लूटा, देश को लूटा, उसका हिसाब तो होकर रहेगा! आज जब कानून का डंडा चल रहा है, जब सलाखें सामने दिख रही है, तब यह जुगलबंदी दिख रही है। इनका कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक्शन से बचने का ही है। भाजपा के बूथ स्तर के कार्यकर्ता इस बात को गाँव-गाँव तक पहुँचाएंगे, तो लोगों को इसका पता चल ही जाएगा! इस विपक्षी एकता की कोशिश के पीछे सभी दलों की क्या मंशा है! इनकी पहचान 20 लाख करोड़ रुपये के घोटालों की गारंटी है, यही उनका इतिहास है।

अपना और परिवार का भला चाहते हैं तो बीजेपी को वोट दीजिए

गाँव में कोई भी अपराधी जब सजा काटकर आता है, तो लोग उसके पास जाते हैं और पूछते हैं कि जेल कैसी होती है! उनको खुद डर होता है! पटना से अच्छी जगह क्या हो सकती है! मैं देख रहा हूँ कि कई लोग, जो जमानत पर हैं, जो घोटालों के आरोपी हैं, जो भ्रष्टाचारी हैं, ऐसे लोग उन लोगों से जाकर मिल रहे हैं, जो सजा काट रहे हैं या जेल से आ रहे हैं। यह देश के लोगों को समझना है। देश के लोग हमसे ज्यादा अच्छे से ये बात समझते हैं। कोई गरीब ये नहीं चाहता कि उनके बच्चों के नसीब में गरीबी रहे। हमें लोगों को बताना होगा कि उन्होंने अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए जिनको वोट दिया, उसका परिणाम क्या हुआ। परिवार के नाम पर वोट मांगने वालों ने अपने परिवार का भला किया। आपको सोच समझकर तय करना है कि आप किसका भला होना देखना चाहते हैं। आपको गांधी परिवार के बेटे-बेटी का विकास करना हो तो काँग्रेस को वोट दीजिए, आपको मुलायम सिंह के बेटे का भला करना है, तो सपा को वोट दीजिए, आपको लालू परिवार का भला करना है तो आरजेडी को वोट दीजिए, आपको शरद पवार की बेटी का भला करना हो, तो एनसीपी का भला कीजिए, आपको अब्दुल्ला परिवार का भला करना हो तो नेशनल कांफ्रेंस को वोट दीजिए, लेकिन आप ध्यान से सुनना, अगर आपको अपने बेटे-बेटी का, पोते-पोती का, नाती-नातिन का भला करना है, तो आप वोट भाजपा को दीजिए!

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