रणधीर परमार, छतरपुर। कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और इसका प्रमाण भी देखने को मिला है। मध्य प्रदेश के छतरपुर (Chhatarpur) जिले के कूंड़ गांव के नाथू राम कुशवाहा (Nathu Ram Kushwaha) ने महान कवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता को चरितार्थ किया है। जिले के एक छोटे से गांव कूंड़ के किसान ने सूखा से परेशान होकर आठ साल की कड़ी मेहनत से एक एक पत्थर को एकत्रित कर धसान नदी के ऊपर किसी भी शासकीय मदद के बिना ही टेंपरेरी बांध (temporary dam) बना दिया है। बंधा बनने से अब नदी में हर समय जल भराव रहता है। जिस कारण से किसान की 10 बीघा कृषि भूमि तो सिंचित हो ही रही है। साथ ही साथ आसपास के किसानों की 100 बीघा के करीब जमीन पर अब बाकी फसलों के साथ साथ सब्जी और फूलों की खेती कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहे हैं।

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कूंड़ के 70 वर्षीय किसान नत्थू कुशवाहा और उनके परिवार की जीवकोपार्जन का एक मात्र साधन खेती ही है, लेकिन खेती में पानी की कमी होने के चलते हमेशा सूखा की स्थिति निर्मित होने से फसल सूख कर खराब हो जाती थी तक जब उनके खेतों के किनारे से बुंदेलखंड क्षेत्र की प्रमुख जीवनदायनी धसान नदी बहने के बावजूद भी वह कुछ नहीं कर पाते थे। कई बार उन्होंने शासन प्रशासन से नदी पर बोरी बंधान बनाने सहित अन्य मुद्दों को लेकर ज्ञापन आदि दिए। जिसके बाद कई बार शासन प्रशासन ने बांध के लिए नपाई भी कराई लेकिन हर बार की तरह नतीजा वही रहा। जिसके बाद किसान ने थक हार कर खुद ही नदी पर बांध बनाने का दृढ़ निश्चय किया।

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किसान नाथू राम कुशवाहा

परिवार के लोगों ने उनका मनोबल तोड़ दिया था, लेकिन वे नहीं माने और अपने संकल्प में लग गए। साल 2014 में उन्होंने धसान नदी पर बांध बनाना शुरू किया। खेत किनारे नदी पर जहां कहीं उन्हें पत्थर मिलते एक एक पत्थर को सहेज कर नदी के बांध में लगाने लगे। एक बार बांध का कार्य करीब आधा पूरा हो चुका था लेकिन नदी में आई तेज धार के चलते बांध भसक गया। जिसके बाद उन्होंने दुगनी मेहनत और संकल्प के साथ बांध बनाने में लग गए। इस तरह करीब 8 साल की कड़ी मेहनत के बाद किसान ने अकेले अपनी दम पर परिवार और गांव वालों को गलत साबित कर बांध खड़ा कर दिया। बांध बनने से कूंड़ गांव से बहने वाली नदी जो हमेशा गर्मियों में सुख जाती थी उसमें आज 44 डिग्री तापमान होने के बाद भी पानी है। इसके पीछे हाथ है नाथू राम कुशवाहा का जिनका अब पूरा गांव धन्यवाद करता है।

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