कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। ग्वालियर नगर निगम में कांग्रेस से पार्षद का टिकट नहीं मिलने से नाराज किन्नर राज नायक ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। अपनी टीम के साथ कलेक्ट्रेट पहुंची किन्नर राज ने वार्ड 34 से पार्षद का नामांकन दाखिल किया है। राज को चुनाव लड़ने के लिए किन्नर समुदाय फंड जुटा कर प्रचार करेगा। राज ने बताया कि वो कांग्रेस पार्टी की पदाधिकारी रही हैं पार्टी के लिए खूब काम किया लेकिन अब टिकिट की बारी आई तो उसकी दावेदारी को नज़र अंदाज़ कर दूसरे को टिकिट दे दिया। किन्नर राज का दावा है कि वो जनता की सेवा के लिए काम करती रही है आगे भी पार्षद बनकर इलाके की सड़क नाली पानी, गरीबों के हक दिलाने का काम करेगी।

महत्वपूर्ण तथ्य..

किन्नरो को भारत में 1994 में मतदान अधिकार दिया गया था।

किन्नर किसी भी महिला या पुरुष सीट पर चुनाव लड़ सकते है।

मध्यप्रदेश में किन्नरों का चुनावी इतिहास

1. शबनम मौसी- देश की पहली किन्नर विधायक

शबनम “मौसी” बानो (शबनम मौसी) सोहागपुर विधानसभा से साल 2000 में विधानसभा उपचुनाव में शबनम ने जीत दर्ज़ की थी। शबनम मौसी पर फ़िल्म भी बन चुकी है।

2. कमला बुआ- महापौर बनी

मध्य प्रदेश के सागर जिले की जनता ने किन्‍नर कमला बुआ को 2009 में महापौर का चुनाव जिताया था।

3. हीराबाई- पार्षद बनी

हीराबाई जबलपुर रवींद्रनाथ टैगोर वार्ड से 1999 से 2004 तक पार्षद रह चुकी है। 

ये किन्नर भी रहे सुर्खियों में

4. नेहा किन्नर

2018 में किन्नर नेहा ने मुरैना जिले की अंबाह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, महज़ 7500 वोट से हारी, यहां BJP और BSP के उम्मीदवार से ज्यादा वोट नेहा को मिले थे।

5. शबनम गुरू

दतिया जिले की भांडेर नगर पंचायत का चुनाव लड़ा था। कड़ी टक्कर दी लेकिन हार गई।

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