कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई के दौरान एक बेहद अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां मरे हुए लोग जनसुनवाई में पहुंचे और जब जनसुनवाई में बैठे अधिकारियों से कहा कि साहब हम सब मरे हुए लोग है, तो उनके होश फाख्ता हो गए। पीड़ितों ने बताया कि उनके रिश्तेदारों ने राजस्व कर्मचारियों से मिलीभगत कर उन्हें सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित करवाकर उनकी जमीन हड़प ली है।

दरअसल, मुरार क्षेत्र के जारगा गांव में वर्तमान में रहने वाले एक सपेरा परिवार के कुछ लोग कलेक्टर की जनसुनवाई पहुंचे हुए थे, जहां उन्होंने बताया कि उन्हें सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है। वह सभी खुद को जीवित साबित करने के लिए यहां आए हैं। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि पहले वो मुरार ब्लॉक के मिर्धा खेरिया गांव में रहते थे। लेकिन कुछ सालों से वह अपने गांव को छोड़कर दूसरे गांव जारगा में जाकर बस गए हैं, लेकिन उनको मृत घोषित करवाकर उनके ही रिश्तेदारों ने उनकी जमीन जो शासन द्वारा दी गई थी पर कब्जा कर लिया है।

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पीड़ितों का कहना है कि कागजों में एक-दो नहीं बल्कि तीन परिवार के 60 से ज्यादा लोगों को मरा घोषित करा दिया गया है, जब उन्हें इस फर्जीवाड़े की जानकारी लगी तो वह हैरान रह गए। यही वजह है कि वह अपने आप को जिंदा साबित करने केइए कलेक्टर कार्यालय आने को मजबूर हुए। उन्होंने अफसरों से कहा कि वह जिंदा है और उन्हें जो शासन ने भूमि आवंटित की थी उस पर से कब्जा हटवाकर दिलाई जाए।

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वहीं सपेरा जाति के इस परिवार की मांग पर प्रशासन का कहना है कि शिकायतकर्ता परिवार ने भूमि संबंधित कोई प्रमाणित दस्तावेज नहीं दिखाया है, लेकिन मामला सामने आने पर उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों को भेजकर जांच करा कर मदद का आश्वासन दिया है।

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