कुमार इंदर, जबलपुर। ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण मामले में एक हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस नेता डॉ जया ठाकुर ने एसएलपी दायर की है। मध्य प्रदेश सरकार के ट्रांसफर एप्लीकेशन के चलते केस डिसाइड नहीं हो पा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने सरकार के ढुलमुल रवैये पर नाराजगी जताई। एमपी सरकार की ट्रांसफर पिटिशन और एसएलपी को एक साथ 7 दिन के अंदर लिस्ट कर सुनवाई का आदेश दिया।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि, ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहले से ही सुनवाई चल रही है, जिसमें करीब 80 याचिकाएं लगी हुई है। एसएलपी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक तरफ पहले से ही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुनवाई चल रही है, वहीं दूसरी ओर एमपी सरकार ने मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में कराने को लेकर ट्रांसफर एप्लीकेशन लगाई हुई है। जिसके चलते केस की दिशा तय नहीं हो पा रही है।

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इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट करेगा या फिर पहले की तरह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चलती रहेगी। इस बात को लेकर भी केस लटका पड़ा है। एसएलपी में बताया गया है कि एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करने के लिए ट्रांसफर एप्लीकेशन लगाई है वहीं दूसरी तरफ सरकार प्रोसीजर भी कंप्लीट नहीं कर पाई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए एक हफ्ते के अंदर इसे SC की मुख्य न्यायाधीश में सुनवाई के निर्देश दिए हैं।

कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने लगाई है एसएलपी

कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ने एसएलपी में बताया कि बिना वजह केस को रोककर रखा गया है। वहीं कोर्ट को ये भी बताया कि मध्य प्रदेश सरकार एक तरफ मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करना चाहती है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ प्रक्रिया भी पूरी नहीं करवा रही है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट में भी मामले की सुनवाई नहीं हो पा रही है।

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वकीलों ने SC में स्थिति क्लियर करने की अपील

जया ठाकुर की ओर से मामले में पैरवी कर रहे एडवोकेट वरुण ठाकुर, एडवोकेट शशांक रत्नू और एडवोकेट रामकरण में सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर बिना वजह मामला अटका हुआ है। एडवोकेट वरुण ठाकुर ने बताया कि ओबीसी आरक्षण के एक्ट पर कभी स्टे नहीं हुआ है, सिर्फ 2019 में आए ऑर्डिनेंस पर स्टे हुआ था। वकीलों ने कहा कि एमपी सरकार की ओर से लगाई गई ट्रांसफर एप्लीकेशन के चलते मामला अधर में लटका हुआ है।

हाईकोर्ट में 80 याचिकाएं पेंडिंग

आपको बता दें की मध्य प्रदेश में ओबीसी के 27% आरक्षण को लेकर पहले से ही एमपी हाई कोर्ट में 80 याचिका पेंडिंग है। 80 याचिका में पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ की याचिका शामिल है। प्रदेश सरकार ने इस मामले को हाईकोर्ट से ट्रांसफर का सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करने के लिए एक एप्लीकेशन लगाई हुई है। जिसके चलते हाईकोर्ट भी मामले को नहीं सुन पा रहा है।

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