आकाश श्रीवास्तव, नीमच। यह खबर उन कुंवारे युवक-युवतियों के लिए है, जिन्हें बहुत कोशिश के बाद भी जीवन साथ नहीं मिल रही है। जिनकी शादी नहीं हो रही है उसकी चिंता में कुंवारे और उनके परिजन चिंतित है। हम आज देवता बिल्लम बावजी के दर्शन करवाने जा रहे हैं, जिनके दर्शन कर अर्जी देने से एकसाल में शादी हो जाने की मान्यता है।

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जिले के जावद की पुरानी धान मंडी श्री रिद्धि सिद्धि गणेश मंदिर के समीप कुवारों के देवता बिल्लम बावजी विराजमान हैं। कुंवारों के देवता इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि यहां जो कुंवारे युवक-युवती आकर दर्शन कर अर्जी लगाते है उनकी शादी हो जाती हैं। बिल्लम बावजी यहां केवल रंग पंचमी से लेकर धनतेरस तक 9 दिनों तक विराजमान रहते हैं। हर साल देवता बिल्लम बावजी को रंगपंचमी के दिन पूरे विधि विधान से विराजित किया जाता है और धनतेरस पर नगर भ्रमण करवाने के बाद प्रतिमा को गणेश मंदिर में अगली रंगपंचमी तक के लिए विराजित कर दिया जाता है। फिर अगले साल रंगपंचमी पर उनके स्थान पर विराजित किया जाता है। यह एक चलित प्रतिमा है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाती है।

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ऐसा माना जाता है कि रंगपंचमी से धनतेरस तक इनके दर्शन-पूजा करने से कुंवारों की मनोकामना पूरी हो जाती है। उनकी शादी एक साल के अंदर हो जाती है। इन नौ दिनों में कुंवारे युवक-युवतियों पूजा-अर्चना कर शादी की कामना करते हैं। यहां बड़ी संख्या में कुंवारे युवक-युवतियों के माता पिता, परिजन अर्जी लगाते है। नारियल अगरबत्ती फूल माला के साथ एक पान की पत्ती से पूजा की जाती है। अर्जी लगाने के बाद साष्टांग दंडवत कर चढ़ाया हुआ पान शादी के इच्छुक लड़के/लड़कियों को खाना अनिवार्य होता है।

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बताया जाता है कि पिछले 40 सालों से यहां बिल्लम बावजी की प्रतिमा की स्थापना की परंपरा व्यापारी निभाते आ रहे है। जब से बिल्लम बावजी के आशीर्वाद से शादियां होने लगी तब से 9 दिनों में सैकड़ों लोग अन्य प्रदेशों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ से दर्शन करने और अर्जी लगाने आते हैं। एक रजिस्टर में सभी आने-जाने वाले लोगों का ब्यौरा लिखते हैं। पिछले वर्ष 800 से ज्यादा कुंवारे युवक-युवतियों ने अर्जी लगाई थी। जिनकी शादी हो जाती है, वे भी पति-पत्नी दर्शन के लिए आते हैं।

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