संदीप शर्मा,विदिशा। कोरोना संक्रमण काल में जहां लोग मानवता का परिचय देकर मरीजों की सेवा कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो मानवता को शर्मसार कर रहे हैं. ऐसी ही मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है. जहां एक बुजुर्ग मरीज को अस्पताल में ही छोड़कर परिजन भाग गए थे. अस्पताल में दम तोडऩे के बाद नगर पालिका कर्मचारियों ने उनका अंतिम संस्कार किया.

कोविड काल में मानवता को शर्मसार करने वाली कुछ इसी तरह की घटनाएं अनेक जिलों से सामने आ रही है.

बुजुर्ग को अस्पताल में बेड तक नसीब नहीं हुआ 

जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में एक बुजुर्ग ग्यारसपुर निवासी नारायण सिंह लोधी अस्पताल के शौचालय के बाहर बेसुध हालत में जमीन पर पड़ा था. उसके बारे में पतासाजी करने पर पता चला कि चार दिन पहले बुजुर्ग के परिजन उसे बीमार अवस्था में ही अस्पताल में छोड़कर भाग गए थे. इस दौरान ना ही अस्पताल प्रबंधन और ना ही किसी जिम्मेदारों की उस पर नजर पड़ी. हैरान करने वाली बात यह है कि बुजुर्ग को अस्पताल में बेड तक नसीब नही हो सका. वह शौचालय के पास बीमारी हालत में पड़ा रहा और रविवार को आखिरकार उसने अपनों के सितम और सिस्टम की नाकामी के चलते दम तोड़ दिया.

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परिजन श्मशान घाट पर छोड़कर फिर भाग गए
उसकी मौत के बाद उसे (नारायण सिंह) छोड़कर भागे परिजनों को जैसे-तैसे अस्पताल प्रबंधन ने बुलाकर शव सौंपा. लेकिन अस्पताल से ले जाकर परिजन श्मशान घाट पर छोड़कर फिर भाग गए. इस शव को नगर पालिका की ओर से नियुक्त कर्मचारी ने दाह संस्कार किया.

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कोनिया गांव निवासी बुजुर्ग नारायण सिंह की मौत

मुक्तिधाम सेवा सीमित के सचिव मनोज पांडेय ने बताया कि ग्यारसपुर के पास कोनिया गांव निवासी बुजुर्ग नारायण सिंह की मौत के बाद परिजनों के अलावा मुक्तिधाम पहुंचे गांव का सरपंच भी पैसे लेने जा रहा हूं बोलकर भाग खड़ा हुआ. इस हालात में नगरपालिका के कर्मचारियों को बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करना पड़ा. बताया गया कि पीएम के दौरान परिजनों का काफी देर तक इंतजार किया, लेकिन समय पर कोई नहीं आया.

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