अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण बढऩे से संक्रमित लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. प्रदेश के अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है. कहीं जगह मिल भी गई दवाइयों की कमी तो कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर का अभाव है. कुल मिलाकर मरीज सहित परजिनों को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. ताजा मामला मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी के गृह क्षेत्र का है. जहां भी स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं का बुरा हाल है.

जब मंत्री के गृह क्षेत्र का यह हाल है तो पूरे प्रदेश की क्या स्थिति होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. मंत्री के गृह क्षेत्र से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां एक युवक बुजुर्ग महिला को हाथ ठेले पर बिठाकर अस्पताल ले जा रहा था.

जिले में लॉकडाउन के कारण ऑटो, टैक्सी बंद है

रायसेन जिले के वार्ड एक नरापुरा निवासी 70 वर्षीय बसंती बाई को सर्दी जुकाम और बुखार की शिकायत थी. उसे कोई अपने वाहन से अस्पताल तक ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ. वहीं जिले में लॉकडाउन के कारण ऑटो, टैक्सी बंद है. ऐसे में बुजुर्ग महिला को सब्जी का ठेला लगाने वाले नाती नीलेश कुशवाह ने अपने हाथ ठेले को ही एंबुलेंस बनाकर बूढ़ी नानी को बैठा लिया और इलाज के लिए उन्हें एक किमी दूर एक निजी डॉक्टर के क्लीनिक तक ले गया.

मोहल्ला फीवर क्लीनिक के नाम सुविधाओं का दम भरने वाले प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल

नगर में जब हाथ ठेले पर बैठी बीमार बुजुर्ग महिला को देखकर सभी हैरत में पड़ गए. लेकिन कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया. मोहल्ला फीवर क्लीनिक के नाम सुविधाओं का दम भरने वाले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के गृह नगर में स्वास्थ्य सेवाओं का जब यह हाल है तो आप प्रदेश में कोरोना के डर और अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजो के हाल का अंदाजा भी आसानी से लगा सकते हैं.

70 वर्षीय बुजुर्ग महिला को हाथ ठेले पर ही अस्पताल ले जाना पड़ा

रायसेन में उस समय लोग आश्चर्य में पड़ गए जब एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला को अस्पताल तक ले जाने के लिए उनके नाती नीलेश कुशवाहा ने लोगों के आगे हाथ पैर जोड़ें. इसके बाद भी कोई अपने वाहन में बसंती बाई की मदद के लिए तैयार नहीं हुआ. ऐसे हालात में नाती नीलेश से रहा नहीं गया तो उसने अपने हाथ ठेले पर ही अपनी नानी बसंती बाई को बैठा कर एक किलोमीटर दूर एक प्राइवेट डॉक्टर के पास इलाज कराने के लिए मजबूर होना पड़ा.

ऐसे तस्वीरें अब भी देखने को मिल रही

कोरोना काल में लोगों की संवेदनाएं किस तरह खत्म होती जा रही है यह इसका ताजा उदाहरण है. जहां साधारण सर्दी जुखाम से पीडि़त बुजुर्ग महिला मरीज की भी मदद करने को कोई तैयार नहीं हुआ. अब प्रदेश सरकार मोहल्ला फीवर क्लीनिक की सुविधाएं देने के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. इस कोरोना आपदाकाल ने लोगों की संवेदनाएं ओर सरकार की जवाबदारी दोनों ही खत्म से कर दी है. तभी शायद ऐसे तस्वीरें अब भी देखने को मिल रही हैं.