इंदर कुमार,जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव कराने की मांग को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार अपना पक्ष रखेगी और ओबीसी वर्ग का डाटा पेश करेगी. ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने की मांग करेगी. केंद्र सरकार ने भी 4 महीने के लिए पंचायत चुनाव टालने की मांग की है. ओबीसी के बिना चुनाव कराना न्यायसंगत नहीं होगा. केंद्र सरकार ने ओबीसी की रिपोर्ट देने के लिए 3 महीने का वक्त मांगा है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 17 दिसंबर के आदेश को वापस लेने की मांग है. केंद्र ने याचिका में कहा है कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराना जनादेश के खिलाफ है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट से 4 महीने के लिए चुनाव टालने की मांग की है. केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि 3 महीने में ओबीसी आयोग अपनी रिपोर्ट दे देगा. सुप्रीम कोर्ट का आदेश ओबीसी को 5 साल के लिए चुनाव से वंचित कर देगा. ओबीसी की 51% आबादी के हिसाब से पंचायत चुनाव में 27% रिजर्वेशन देना कानून संगत है. इसलिए चुनाव की तारीख आगे बढ़ाई जाए.

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राज्य सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि बीजेपी की कोशिश है कि सबका साथ, सबका विकास हो. पंचायत चुनाव में ओबीसी समाज चुनाव लड़े ये उनका अधिकार है. सबको न्याय देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने ट्वीट कर लिखा था कि मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण और पंचायत चुनाव में स्थगन को लेकर SC में केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. SC से जल्द सुनवाई का आग्रह किया है. 

BIG BREAKING: मध्यप्रदेश में नहीं होंगे पंचायत चुनाव, राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला

बता दें कि मध्य प्रदेश में अभी पंचायत चुनाव नहीं कराने का राज्य निर्वाचन आयोग ले चुकी है. राज्य निर्वाचन आयोग सचिव बीएस जामोद ने कहा था कि कानूनी राय के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त ने पंचायत चुनाव की पूर प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया है. जिन कैंडिडेट ने नामांकन के साथ जमानत राशि जमा की है, उसे वापस किया जाएगा.

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