(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

ट्रेनर को लेकर चर्चाओं का दौर गरम

मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में रविवार को हो रही प्रत्याशी और काउंटिंग एजेंटों की ट्रेनिंग को लेकर जमकर चर्चा जारी है. खास तौर पर ट्रेनिंग के आखिरी सेशन को लेकर जमकर चर्चा हो रही है. कई काउंटिंग एजेंट कहते हुए नजर आ रहे हैं कि हम भी 12-15 बार से अधिक काउंटिंग एजेंट रहे हैं. ट्रेनिंग तो हम भी दे सकते हैं. इस बार हम ही ट्रेनिंग देते, बहुत थोड़े से चूक गए.

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कद्दावर मंत्री कौन?

प्रदेश की सत्ता किस पार्टी के पास रहेगी, स्थिति साफ होने के लिए अभी 3 दिसंबर तक का इंतजार करना होगा. लेकिन मतगणना से पहले ही मलाईदार विभागों को लेकर मंथन का दौर शुरू हो चुका है. यह स्थिति दोनों दलों में देखी जा रही है. जहां प्रमुख विभाग की चाह में नेताओं ने गुणा-भाग लगाना शुरू कर दिया है. क्योंकि जिसके पास प्रमुख विभाग होंगे, नई सरकार में वही कद्दावर मंत्री कहलाएंगे. बीजेपी में ये दिमागी कसरत इस बात को लेकर अधिक चल रही है कि दिग्गज सांसदों के जीतने पर मलाईदार विभाग उनके खाते में जा सकते हैं.

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नई सरकार में नई सर्जरी

मध्य प्रदेश में सरकार किसी भी पार्टी की बने, लेकिन नई सरकार में मंत्रालय से लेकर जिलों तक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होना तय है. कांग्रेस सत्ता में आई तो सब कुछ बदल देगी और बीजेपी ने ही वापसी की तो भी मंत्रालयीन विभागों ने लेकर जिलों की कमान बदली जाएगी. ऐसा जिलों में बेहतरीन परफॉर्मेंस करने वालों को नवाजने और नए सिरे से जमावट करने के कारण होगा. फिलहाल ब्यूरोक्रेसी में चर्चा आम है कि किस की सत्ता में किस-किस की बल्ले-बल्ले होने वाली है.

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थोकबंद बंगले होंगे खाली

नई सरकार बनने के बाद राजधानी के सरकारी आवासों में भी बड़ा फेरबदल होने जा रहा है. सरकार किसी भी दल की बने, लेकिन यह परिवर्तन हर हाल में होना तय है. क्योंकि बंगले खाली कराने की बड़ी पैमाने पर तैयारी की गई है. इसमें नेताओं के साथ अलग-अलग मद से सरकारी आवास लेने वालों के नाम शामिल हैं. आवास उपलब्धता की मियाद पूरे होने वालों के बंगले थोक में खाली कराए जाएंगे.

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सट्टा बाजार ने लगाया बट्टा और उड़ गई नींद

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ता का सट्टा शुरू हो गया है. अब खबर ये है कि सट्टा बाजार न सिर्फ कांग्रेस की सरकार बना रहा है बल्कि कई दिग्गजों की साख पर भी बट्टा लगा दिया है. बीजेपी के कई बड़े नाम का दांव कम है तो कुछ पर चवन्नी मतलब 25 पैसे का खेल. मतलब हार जीत का अंतर भी बेहद कम. हालत ये है कि पन्ना प्रमुखों की बूथ स्तर की रिपोर्ट का बारीकी से आंकलन किया जा रहा है. अब जो होना है सो हो गया. लल्लूराम डॉट कॉम तो साफ कहता है नींद हराम से हाजमा कहा ठीक होता है. वैसे महाकौशल के एक दिग्गज तो करोड़ों लगा कर बैठे हैं। एमपी के सत्ता के सबसे ऊंचे पद की दौड़ और सट्टा का बट्टा. खेर ये सटोरियों की दुनिया से हमें क्या ? बस बात इस बात की कि बड़े पद के जन सेवक इतना जरूर याद रखेंगे कि जनता के बीच बना रहने के साथ व्यवहार भी अच्छा होना चाहिए, जनता की बारी सब पर भारी.

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