अजय शर्मा, भोपाल/ कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। MP में एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की हड़ताल 18 अप्रैल से जारी है। जिसका का असर दिखाना भी शुरू हो गया है। हड़ताल के कारण विश्व टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहा है। दरअसल, 24 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक विश्व टीकाकरण सप्ताह (कैचप राउंड) का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 0 से 5 साल तक के छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण किया जाना है, इसका दूसरा चरण दिनांक 24 मई से 30 मई तक और तीसरा चरण 24 जून से 30 जून तक आयोजित किया जाएगा। लेकिन ANM के हड़ताल पर रहने के चलते पहले दिन ही टीकाकरण प्रभावित हुआ है, जबकि यह टीकाकरण 3 महीने तक चलना है।

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बता दे कि इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता छूटे हुए बच्चों की लिस्ट बनाकर उनका टीकाकरण करते हैं। साथ ही यह भी पता करते हैं कि कोई भी बच्चा संपूर्ण टीकाकरण से छूट ना जाए। बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण उन्हें 11 जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा देता है, लेकिन हड़ताल के चलते यह टीकाकरण अभियान प्रभावित होने लगा है। ग्वालियर जिले में लगभग 778 स्वास्थ्य कर्मचारी फूलबाग चौराहे पर अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल बैठे हैं। वहीं प्रदेश भर की बात की जाए तो 32 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। बुरहानपुर में भी एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की हड़ताल जारी है।

ये हैं दो प्रमुख मागें

  1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों को विभाग में रिक्त पदों पर वरिष्ठता के आधार पर नियमित किया जाए। अन्य कर्मचारियों को 5 जून 2018 को सामान प्रशासन विभाग द्वारा पारित की गई नीति रेगुलर कर्मचारियों के समक्ष 90%वेतनमान तत्काल लागू किया जाए एवं सीएचओ कैडर को MLHP कैडर के तहत नियमित किया जाए।
  2. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउटसोर्स ठेका प्रथा में किए गए सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए अथवा विभाग के रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए।

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मध्यप्रदेश के अस्पतालों में फिर 2 मई से शुरू होगा आफत का दौर

मध्यप्रदेश के अस्पतालों में फिर 2 मई से आफतों का दौर शुरू होगा। क्योंकि डीएसपी लागू करने, पुरानी पेंशन बहाली, मेडिकल काम में प्रशासनिक अधिकारियों के दखलअंदाजी बंद करने को जैसी मांगों को लेकर डॉक्टर हड़ताल पर जाएंगे। डॉक्टर 2 मई से ओपीडी और 3 मई से पूरी तरह काम बंद करेंगे। इस कारण प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमारा सकती है। बता दें कि हाई पावर कमेटी और डॉक्टरों के बीच मांगों को लेकर सहमति नहीं बनी है। लिहाजा डॉक्टर आंदोलन की राह पर है। इससे पहले 17 फरवरी को भी डॉक्टर हड़ताल कर चुके हैं। हालांकि 3 घंटे ही डॉक्टरों की हड़ताल चली थी, जिसके बाद सरकार ने डॉक्टरों को मना लिया था।

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