रायपुर. अरबों-खरबों रूपये की सरकारी जमीन को खैरात की तरह बाँटने की बात सुनकर आपको भी हजम नहीं हो रही होगी. मगर यह बात सौ फीसदी सच के साथ-साथ बेहद आश्चर्यजनक भी है. दरअसल माना के नगर पंचायत अध्यक्ष श्यामा प्रसाद चक्रवर्ती लोगों को सरकारी जमीन मुफ्त में बाँट रहे हैं. बाकायदा लोगों को जमीन नाप-जोखकर दी जा रही है. लोगों ने मकान-दुकान बनाने का काम भी शुरू कर दिया है.

अब आप मामले को जरा विस्तार से समझ लीजिए. माना कैम्प में सड़क चौड़ीकरण के कारण संकरे रास्ते के सैकड़ों दुकान टूटने लगे हैं. ये सभी दुकान विधिसम्मत नहीं है. नजूल जमीन पर बने हुए हैं. सभी दुकानों को तोड़ने निगम का फरमान भी जारी हो चुका है. व्यापारी संघ के लोगों ने दुकान शिफ्टिंग के लिए कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं. लेकिन किसी प्रदर्शनों का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला.

अब पता नहीं किस अधिकार से नगर पंचायत अध्यक्ष ने दुकान मालिकों को कह दिया कि दुकान टूटने के बाद उसे अपने दूकान के पीछे ही सड़क किनारे जमीन दी जाएगी. बाकायदा इसके लिए जमीन नाप-जोखकर दिल के बड़े दिलेर नगर पंचायत अध्यक्ष ने पता नहीं आखिर किस हैसियत से अरबों की जमीन दुकानदारों को देने की मौखिक घोषणा कर दी है. दुकानदारों से जब पूछा गया कि उन्हें जमीन कौन दे रहा है, तो कई दुकानदारों ने कैमरे के सामने अपने बयान में नगर पंचायत अध्यक्ष का नाम बताया है.

साथ ही दुकानदारों से जब पूछा गया कि क्या यह जमीन देने के बाद उन्हें किसी प्रकार के लिखित दस्तावेज दिया गया है तो सभी दुकानदारों मौखिक में ही जमीन नाप-जोखकर देने की बात कही है. इधर नगर पंचायत अध्यक्ष श्यामा प्रसाद चक्रवर्ती कैमरा के सामने आकर बयान देने से बचते रहे. उन्होंने कॉल पर ही कह दिया कि उन्होंने किसी दुकान को जमीन नहीं दी है, खुद दूकानदार ही जमीन हथिया रहे हैं. यदि दूकानदार ही सरकारी जमीन हथिया रहे हैं और इस बात कि जब नगर पंचायत अध्यक्ष को जानकारी है तो वे खुद अवैध काम को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं ? दुकानदारों को क्यों नहीं रोका जा रहा है ? यहाँ यह भी एक अहम और बड़ा सवाल पैदा होता है.