रायपुर. नवरात्रि में पूरे नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरूप की विधि-विधान से पूजा की जाती है. आदिशक्ति माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं. ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली मां हैं. नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है. इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है.

सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है. ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है. यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा व सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं.

मां का श्लोक 

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

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मां का मंत्र

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

मां कि पूजा विधि

नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा करना चाहिए. इस दिन कमल में बैठी देवी का ध्यान करना चाहिए. मां को सुंगधित फूल अर्पित करें. आज मां को शहद अर्पित करें इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें- ऊं सिद्धिरात्री देव्यै नम:.

 

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