दिल्ली. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के पालनार गावं से आये लोगों ने नक्सल प्रभावित पालनार गावं के कैशलेस बनने की कहानी आज नई दिल्ली में आयोजित स्मार्ट मनी कॉन्क्लेव में साझा की. कार्यक्रम का आयोजन प्रतिष्ठित अंग्रेजी समाचार पत्र मेल टुडे द्वारा किया गया था. कार्यक्रम में दंतेवाड़ा जिले के कॉमन सर्विस सेंटर के प्रबंधक पवन कुमार,पालनार गावं के सरपंच सुकालू राम, पालनार गावं के व्यवसाई श्री धीरज कुमार गुप्ता व गोपाल सिन्हा भी उपस्थित थे.

कार्यक्रम के मंच से पालनार गावं के सरपंच सुकालू राम व दंतेवाड़ा जिले के कॉमन सर्विस सेण्टर के प्रबंधक पवन कुमार ने बताया कि किस प्रकार से नोटबंदी के दौरान जिला प्रशासन दंतेवाड़ा ने जिले को कैशलेस बनाने की वृहद रणनीति तैयार की और पालनार प्रदेश का पहला कैशलेस जिला बना. उन्होंने ने बताया कि जिस गांव को कैशलेस बनाया गया है, वहां मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता. लेकिन बीएसएनएल की सहायता से गांव में वाई-फाई स्पाट लगाकर इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई गई. जिससे कैशलेस ट्रांजेक्शन शुरू हुआ. गांव में मोबाइल से बात नहीं हो पाती लेकिन इंटरनेट कॉल आसानी से किया जा सकता है.

नोटबंदी के दौरान जिला प्रशासन दंतेवाड़ा ने जिले को कैशलेस बनाने की वृहद रणनीति तैयार की. इसके लिए उन्होंने अधिकारियों, संस्थाओं, समाज सुधारकों आदि की 11 जागरूकता टीम तैयार की जो कि लगातार जगह-जगह गांव, कस्बों, दुकानों, व्यवसायियों आदि को कैशलेस लेन-देन की दिशा में जागरूक करने का कार्य करती रही.

केवल 3 सप्ताह के भीतर ही जिलों में 5 हजार लोग डिजिटल आर्मी के सदस्य बने और लगभग 12 हजार 800 लोगों को डिजिटल लेन-देन के लिए प्रशिक्षित किया गया. दुकानदारों को प्रोत्साहित किया गया कि वे किस प्रकार ऐप को डाउनलोड कर उसका उपयोग करें. दंतेवाड़ा जिले में जिला प्रशासन द्वारा जगह-जगह फ्री वाई-फाई इंटरनेट की व्यवस्था सुलभ कराई गई.

इन प्रयासों के चलते जिले के कुआकोड़ा विकास खंड के अंदरूनी गांव पालनार को प्रदेश का पहला कैशलेस ट्रांजैक्शन वाला जिला होने का गौरव हासिल हुआ. यहां पूरा शापिंग कॉम्प्लेक्स वाई-फाई है. इसके लिए प्रशासन ने इजीटॉप पीओएस मशीनें उपलब्ध कराई. पूरे शापिंग कॉम्प्लेक्स में चाहे दूध की दुकान हो, किराना हो या पंक्चर की दुकान हो. सभी दुकानदार यहां ई-पेमेंट की सुविधा प्रदान करते हैं. धीरे-धीरे दंतेवाड़ा और किरंदुल में लगभग 90 प्रतिशत व्यापारियों ने कैशलेस पेमेंट को अपना लिया. अब जिला प्रशासन जिले में मनरेगा के अंतर्गत समस्त भुगतान, पेंशन भुगतान व ग्राम पंचायत स्तर पर समस्त खरीदी को डिजीधन के अंतर्गत प्रक्रिया में लेने का कार्य प्रारंभ कर दिया है. पालनार में कोई बैंक नहीं है.

यहां के दुकानदार धीरज कुमार गुप्ता व गोपाल सिन्हा ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक ने क्षेत्र के सभी दुकानदारों को इजी टैब मशीन दी हैं, जिसके द्वारा हम कार्ड स्वाइप कर पेमेंट लेते हैं. जिससे कैशलेस ट्रांजेक्शन ज्यादा हुए. जिससे लोगों को भी सुविधाएं मिली और दुकानदारों को भी इसके कई फायदे हुए.

दंतेवाड़ा जिले सरपंच के कॉमन सर्विस सेंटर के प्रबंधक पवन कुमार ने बताया की यहाँ मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहता,आसपास के गावं में बैंक भी नहीं है, परन्तु इस सर्विस सेण्टर के माध्यम से जिले के लोगों को इंटरनेट के माध्यम से एक ही जगह पर बैंक एकाउंट खोलना, पैन-आधार कार्ड, जाती और मूलनिवासी प्रमाणपत्र बनाये जा रहे. इतना ही नहीं नक्सल गतिविधियों के कारण केंद्र व राज्य के पुलिस बल के जवान वीडियो कॉल के माध्यम से अपने परिवार के लोगों से बात भी करते है. यह सब कैशलेस और डिजिटल इंडिया के लिए किये गए प्रयासों से ही संभव हो पाया.

पालनार के सरपंच सुकालू राम कहते है कि अब गांव के हर घर में मोबाइल है. लोग इंटरनेट के माध्यम से सरकारी व अन्य सुविधाओँ का लाभ ले रहे है. पहले गांव के लोगों सरकारी व अन्य सुविधाओं के लिए 40 -50 किलोमीटर दूर जाना होता था. आज कॉमन सर्विस सेण्टर पर सब सुविधाएं मिल जाती है. आज दंतेवाड़ा जिले के पालनार सहित आसपास के गावं के लगभग 15 हजार लोग इस सर्विस सेंटर में आकर जरूरी सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर रहे है.सरपंच का यह भी कहना है कि कैशलेस इकॉनमी का फैसला ज्यादा बेहतर है क्योंकि इससे जल्दी काम हो जाता है।

आपको बता दें कि पालनार गांव कि करीब दो हजार आबादी है. जिनमें टोटल 22 दुकाने हैं और ये सभी कैशलेस पेमेंट ले रहे हैं. यहां के लोग सरकार के फैसले से बहुत संतुष्ट हैं.