रायपुर। आज से 6 महीने पहले पुलिस ने नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के बड़े गैंग का भंड़ाफोड़ करते हुए कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. लेकिन इन सबके बीच ख़बर ये है कि कई बड़े लोगों को बचाने का प्रयास भी हो रहा है. मतलब मामले में लीपातोती की संभावना भी दिख रही है. हालांकि इस पर अभी कोई खुलकर कहने को तैयार नहीं है, लेकिन हमारे पास जो ख़बरें आई है उसके बाद कुछ बड़े लोग जो कि शहरी नेटवर्क के लपेटे में आए हैं, वे बचकर निकल सकते हैं.

दरअसल शहरी नेटवर्क के मामले में कई बड़े व्यापारी और ठेकेदार भी शामिल थे. सभी आरोपी महीनों से सलाखों के पीछे हैं. जबकि नक्सली कमांडर राजू सलाम समेत तीन आरोपी अभी तक फरार है, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है. पुलिस ने शहरी नेटवर्क मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ विवेचना पूरी कर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भेज दिया गया है.

गौरतलब है कि मार्च महीने में एक ठेकेदार की गिरफ्तारी के बाद नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का खुलासा हुआ. तब पता चला कि माओवादियों को सामान और पैसा पहुंचाने के लिए नक्सलियों का शहरी नेटवर्क काम कर रहा है. गिरफ्तार आरोपी से कड़ाई से पूछताछ के बाद परत-दर-परत शहरी नेटवर्क का खुलासा होते गया. पुलिस के सामने कई बड़े नाम सामने आते गए. जो व्यापार की आड़ में नक्सलियों से जुड़कर गोरखधंधों को अंजाम देते थे. इसी के बलबूते वो मालामाल होते गए और कई हजार करोड़ की संपत्ति भी बना ली. जिन ठेकेदार बंधुओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया, उन्हें नक्सली मदद के बदले सड़क निर्माण में सहयोग मिलता था. जिससे नक्सली इनके कार्यों में लगे वाहनों और व्यक्तियों को नुकसान नहीं पहुंचाते थे.

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इस मामले जिन नामों का खुलासा हुआ उनमें बड़े ठेकेदार राजनांदगांव निवासी अजय जैन, लैंड मार्क इंजीनियर कंपनी बिलासपुर के निशांत जैन, जो कि दिल्ली गुड़गांव से यहां पहुंचकर महज 18 साल में 600 करोड़ रुपए मालिक बन गया था. लैंड मार्क रॉयल इंजीनियर कंपनी राजनांदगांव का वरुण जैन भी कांकेर जिले में पीएमजीएसवाई के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क निर्माण का काम संबंधित फर्म को मिलने लगा था. पुलिस ने इन लोगों को गिरफ्तार किया. इसके साथ ही अजय जैन कोमल, प्रसाद वर्मा, कोयलीबेड़ा के रोहित नाग, मेरठ उत्तर प्रदेश निवासी  सुशील शर्मा और बालाघाट निवासी सुरेश शरणागत को गिरफ्तार किया गया था.

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एएसपी कीर्तन राठौर ने कहा कि ठेकेदार जैन भाई समेत 14 नक्सल सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है. ये सभी नक्सलियों को सामान सप्लाई किया करते थे. इन सभी के खिलाफ धारा 120 बी और जन सुरक्षा अधियनियम के तहत कार्रवाई कर जगदलपुर जिला जेल में रखा गया है. उन्होंने ये भी बताया कि नक्सली कमांडर राजू सलाम समेत तीन आरोपी नक्सली अभी तक फरार है. पुलिस इनकी तलाश कर रही है. इसके अलावा पुलिस की विवेचना में और किसी भी व्यक्ति के साथ तार नहीं जुड़ रहा है.

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पूरे मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सवाल ये भी कि जांच का दायरा आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है ? कहीं वास्तव में इस मामले में कुछ लोगों को बचाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है ? सवाल ये भी कि आखिर कैसे ठेकेदार नक्सलियों तक सामान पहुंचा पा रहे थे ?