उत्तराखंड के बदरीनाथ धाम में ईद के मौके पर नमाज पढ़े जाने का मामला गर्मा गया है. स्थानीय लोगों ने बुधवार को इसको लेकर विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट ऐक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है. हालांकि एसपी का कहना है कि नमाज पढ़ी गई इसके कोई सबूत नहीं हैं.

बदरीनाथ धाम मंदिर परिसर में मुस्लिमों ने नहीं पढ़ी नमाजः मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने कहा कि 15 मुस्लिम मजदूर हरिंदर नाम के एक मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर के यहां काम करते है. मजदूर मंदिर से एक किमी दूरी पर एक पार्किंग फैसिलिटी प्रोजेक्ट में पर काम कर रहे हैं. साइट पर ही रहने की वजह से बकरीद के दिन सभी ने सुबह तड़के वहीं पर नमाज अदा कर ली. उन्होंने किसी भी सार्वजनिक स्थल पर नमाज नहीं पढ़ी. न ही इसके लिए बाहर से किसी मौलाना को बुलाया गया था.

मजदूरों के खिलाफ पेंडेमिक एक्ट के तहत केस दर्ज

पुलिस ने कहा कि कोरोना नियमों को तोड़ने पर कॉन्ट्रैक्टर और मजदूरों के खिलाफ पेंडेमिक एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. सभी ने नियमों के खिलाफ जाकर भीड़ जुटाई और सोशल डिस्टिंसिंग का पालन भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष ऋिषि प्रकाश सति की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

इसके साथ ही पुलिस मंदिर में नमाज पढ़े जाने के आरोपों की भी जांच कर रही है. पुलिस ने एक ट्वीट कर कहा कि सभी को अफवाहों से बचना चाहिए और बिना सच जाने कोई भी खबर शेयर न करें. इसके साथ ही पुलिस ने कहा कि जांच के आधार पर ही मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.

‘नमाज पढ़ी भी तो बंद कमरे में और बिना किसी लाउडस्पीकर के’

एसपी के मुताबिक, ‘अगर हम मान भी लें कि नमाज पढ़ी गई तो उन्होंने किसी भी सार्वजनिक स्थान पर नहीं पढ़ी. न बाहर से कोई मौलवी बुलाया गया और न ही लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया गया. न ही कोई आयोजन किया गया. सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जा रही हैं कि एक स्थान विशेष पर नमाज पढ़ी गई, जो गलत है. मेरी अपील है कि लोग अफवाह न फैलाएं. फिलहाल डीएम ऐक्ट में मुकदमा दर्ज है और जांच जारी है. जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई होगी.