परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त अविनाश ढाकने और कुछ अन्य आरटीओ अधिकारियों के खिलाफ रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) के एक अधिकारी द्वारा कथित भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगे है. इसके बाद तीन सदस्यीय जांच पैनल का गठन किया गया है.

महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और शिवसेना नेता अनिल परब के खिलाफ गंभीर किस्म के आरोप लगाए हैं, जिनके पास राज्य परिवहन मंत्रालय है. इनके अलावा परिवहन आयुक्त अविनाश ढाकने और पांच अन्य आरटीओ अधिकारियों पर आरोप लगे हैं. परब, ढाकने और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोप भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के हैं. परब को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का करीबी समझा जाता है.

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रिश्वतखोरी का आरोप रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) के एक निलंबित मोटर वेहिकिल इंस्पेक्टर ने लगाया है. शिकायतकर्ता गजेंद्र पाटिल ने बताया है कि वास्तव में यह आरटीओ में मलाईदार पदों पर नियुक्ति का मामला है जिसमें मंत्री और कई उच्चाधिकारी शामिल हैं. इन नियुक्तियों में करोड़ों रुपये का लेन-देने होता है. निलंबित अधिकारी की लिखित शिकायत के आधार पर ही पुलिस आयुक्त दीपक पांडेय ने जांच का आदेश दिया है. प्रतिक्रिया में शिवसेना के वरिष्ठ नेता व मंत्री परब ने आरोप को झूठा और आधारहीन बताया है. उन्होंने कहा है कि यह महा विकास अघाड़ी सरकार को बदनाम करने की साजिश है, जो सफल नहीं होगी.

ई-मेल के जरिए शिकायत

पाटिल को इस साल जनवरी में निलंबन कर दिया गया. निलंबन पर उनका कहना है कि ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने विभाग में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत की थी और उक्त किंगपिन द्वारा लगाए गए दबाव के आगे नहीं झुके. शिकायत में विभिन्न पोस्टिंग और ट्रांसफरों का विवरण और तारीखों के साथ अधिकारियों के पद और पदनाम के अनुसार उन पोस्टिंग की मांग के लिए कथित रूप से भुगतान की गई राशि का विवरण दिया गया है.

पाटिल ने 15 मई को नासिक के पंचवटी पुलिस स्टेशन, नासिक के पुलिस आयुक्त, पुलिस महानिदेशक (भ्रष्टाचार विरोधी), सीबीआई, ईडी, उपमुख्यमंत्री कार्यालय को ई-मेल के माध्यम से शिकायत भेजकर शिकायत में नामित लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की.