रायपुर। एक साल की बच्ची भावना जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. लेकिन उसके इलाज में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डॉक्टर्स का कहना है कि अब स्मार्ट कार्ड में इतने ही पैसे हैं, जिससे 2 दिनों तक इलाज हो सके, इसके बाद वो उसका इलाज नहीं करेंगे.

ये वाकया है राजधानी के अंजलि चिल्ड्रन हॉस्पिटल का. जहां के डॉक्टर्स इतने संवेदनहीन हैं कि एक बच्ची का इलाज वे तब तक नहीं करेंगे, जब तक उनकी जेब गरम नहीं हो. बता दें कि ये बच्ची भिलाई के अम्लेश्वर थाना क्षेत्र के खुड़मुड़ा की रहने वाली है. इसकी मां ने ससुर की बदनीयती से तंग आकर अपनी बच्ची के साथ आग लगा ली थी. मां को तो नहीं बचाया जा सका, लेकिन लोगों ने एक साल की बच्ची भावना को बचा लिया. बच्ची 40 प्रतिशत तक जल गई है.

अंजलि चिल्ड्रन हॉस्पिटल में नहीं है बर्न यूनिट

पुलिस ने बच्ची के पिता और दादा-दादी को जेल भेज दिया. बच्ची की देखभाल से रिश्तेदारों ने हाथ खींच लिए. गाववालों ने उसे अंजलि चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भर्ती कराया. लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि अंजलि चिल्ड्रन हॉस्पिटल प्रबंधन को उसे बर्न यूनिट भेजना चाहिए था, जो उन्होंने नहीं भेजा. बर्न यूनिट में इलाज नहीं होने के कारण बच्ची की हालत बेहद खराब हो गई है. उसके बाईं जांघ पर इन्फेक्शन होना शुरू हो गया है. लेकिन हॉस्पिटल स्मार्ट कार्ड से फीस लेने के लालच में उसका इलाज अपने यहां ही रखकर कर रहे हैं.

सोशल ऐक्टिविस्ट ममता शर्मा ने कहा कि उन्होंने रायपुर एएसपी विजय अग्रवाल से बच्ची का इलाज कालड़ा हॉस्पिटल में कराने की गुजारिश की है, ताकि उसका इलाज बर्न यूनिट में सही तरीके से हो सके. वहीं एएसपी विजय अग्रवाल ने राजेन्द्र नगर थाना प्रभारी संध्या द्विवेदी को ममता शर्मा के साथ अंजलि चिल्ड्रन हॉस्पिटल भेजा. इधर बर्न स्पेशलिस्ट डॉ कालड़ा ने कहा है कि बच्ची की कंडीशन क्रिटिकल है.