रायपुर। राजधानी में आयोजित धर्म संसद में कालीचरण बाबा का विवादित बयान पर कांग्रेसी बिफर पड़े हैं. विभाजन के लिए महात्मा गांधी को जिम्मेदार ठहराने और गाली देने के खिलाफ सभापति प्रमोद दुबे के बाद अब पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने एफआईआर दर्ज कराई है. मोहन मरकाम ने कहा कि कालीचरण के खिलाफ राष्ट्रपिता के अपमान का केस दर्ज हो. पीसीसी चीफ मोहन मरकाम रात 12 बजे सिविल लाइन थाने में एफआईआर कराने पहुंचे थे.

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उन्होंने धर्म संसद के मंच से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिये अपमानजनक और अशिष्ट भाषा के प्रयोग की कड़ी निंदा की है. मोहन मरकाम ने कहा कि महात्मा गांधी का अपमान करने वाले कालीचरण के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. मोहन मरकाम की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई है. इससे पहले महंत राम सुंदर दास ने इसका विरोध किया था.

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वहीं प्रमोद दुबे की शिकाय पर भी रावणभाटा ग्राउंड में आयोजित धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के लिए अपशब्दों का प्रयोग करने वाले कालीचरण बाबा के विरुद्धथाना टिकरापारा में अपराध क्रमांक 578/2021 धारा 505(2), 294 IPC के तहत अपराध दर्ज़ किया गया है.

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दरअसल,  धर्म संसद में कालीचरण ने राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी पर विवादित बयान दिया है. कालीचरण ने महात्मा गांधी के लिए अपशब्द का प्रयोग करते हुए गोडसे को प्रणाम किया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की वजह से देश का विभाजन हुआ, गोडसे को नमस्कार है कि उन्होंने महात्मा गांधी को गोली मार दी. उनको मार डाला.

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वहीं उन्होंने कहा कि इस्लाम का मकसद राजनीति के जरिए राष्ट्र पर कब्जा करना है. 1947 में हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश पर इस्लामाबाद ने कब्जा किया. मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया. कालीचरण ने अपने विवादित बोल में कहा कि गांधी…ह…मी…थे..

इस बयान के बाद धर्म संसद में हंगामा मच गया था.  महंत राम सुंदर दास ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि क्या महात्मा गांधी सही में ग…र थे, बिल्कुल नहीं उन्होंने खुद को देश के प्रति समर्पित किया था, महात्मा गांधी के विषय में बहुत ही अपमान जनक बातें कही गई, जो अशोभनीय है, मैं इस धर्म संसद से खुद को अलग करता हूं.

उन्होंने कहा कि मुझे धर्म संसद का मूल संरक्षक बनाया गया था, लेकिन मैं अपने आप को इस धर्म संसद से पृथक करता हूं. इस धर्म संसद का मंथन कुछ भी नहीं निकला, संतों का काम अपशब्द कहना नहीं है, लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक करना है. महंत रामसुंदर दास ने धर्म संसद का बॉयकॉट किया. धर्मसंसद में आए दूसरे संतों ने बॉयकॉट को संतों का अपमान बताया.

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