जंगल विभाग ‘जंगल’ ना रह जाता…
‘पाॅवर सेंटर’ में पिछले हफ्ते हमने एक महिला आईएफएस की कारस्तानियों की पोल खोली थी. उनकी कारस्तानियों से पूरा महकमा वाकिफ हो गया, मगर पीड़ित रेंजर की न्याय की गुहार की गूंज अफसरों के कानों तक जाकर ठहर गई. भीतर जाती, तो सरकारी व्यवस्था का वह उसूल टूटकर बिखर जाता, जिसमें दबे कुचले निचले अधिकारियों-कर्मचारियों की सुनवाई की मनाही है. उनके हिस्से अगर कुछ है, तो केवल ‘कार्रवाई’. सुनवाई होती तो जंगल विभाग ‘जंगल’ ना रह जाता. पीड़ित रेंजर उम्मीद में था कि उसकी शिकायत उसे राहत दिलाएगी. महिला अफसर की आवभगत पर उसने जो रकम राशन, साग-सब्जी,फल,अंडा,मछली,मीट,चिकन, बिरयानी, बच्चों के खिलौने, घर के पर्दे से लेकर मसाज तक में खर्च की है, उसे वापस मिल सकेगी. मगर रेंजर की बेचारगी ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े रेंजर के खिलाफ दो अलग-अलग मामलों पर जांच बैठा दी गई है. महिला आईएफएस ने रेंजर के वित्तीय अधिकार भी छीन लिए हैं. बहरहाल महिला आईएफएस पर जिसका भी हाथ है, बड़ा मजबूत मालूम पड़ता है. बाल का बांका तो दूर, एक अदद नोटिस तक उन्हें नहीं मिला.
एक तीर, दो निशाना
जंगल विभाग की बात निकली है, तो चर्चा एक ऐसे सीसीएफ की, जिसके किस्से कहानियों की लंबी फेहरिस्त है. सीसीएफ के रिटायरमेंट में महज छह दिन बाकी रह गए हैं, लेकिन लगता है जाते-जाते बहुत कुछ समेटना चाहते हैं. कद और पद बड़ा है, लेकिन नजर इतने नीचे तक जाती दिखती है कि हरकतों पर भी सवाल उठ खड़े होते हैं. खैर, रिटायरमेंट के कुछ दिनों पहले एक डीएफओ के वित्तीय अधिकार छीन लेने को लेकर सुर्खियों में है. जबकि विभाग के मैनुअल में सीसीएफ के पास ऐसा कोई अधिकार ही नहीं. कहते हैं कि डीएफओ के वित्तीय अधिकार छीनने के पीछे की असल कहानी कुछ और है. सीसीएफ एक तीर से दो निशाना साधना चाहते हैं. महकमे के एक आला अफसर उनके निशाने पर हैं. आला अफसर ने जब सीसीएफ के वित्तीय अधिकार छीने जाने के फैसले पर अपना हंटर चलाया, तब सीसीएफ ने उस पुराने आदेश को आधार बताया, जिसमें आला अफसर ने खुद डीएफओ के वित्तीय अधिकार छीन रखे थे. मगर सीसीएफ इस बात से अंजान थे कि आला अफसर ने वित्तीय अधिकार तत्कालीन पीसीसीएएफ की अनुमति से छीने थे. बहरहाल सीसीएफ अपने काम को लेकर बेहद चर्चित रहे हैं. स्टिंग ऑपरेशन में उनके नाम से मातहत कर्मचारी के लेनदेन का एक वीडियो जारी हुआ था. सीसीएफ गाड़ियों को राजसात करने के पीछे के खेल के माहिर खिलाड़ी रह चुके हैं. सुनते हैं कि एक रेंजर ने सीसीएफ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. इस रेंजर के खिलाफ सीसीएफ ने चार्जशीट तैयार की थी. रेंजर पर आरोप था कि उसने अपनी गाड़ी में डीजल की तय डेढ़ सौ लीटर की मात्रा से अधिक डीजल खर्च कर विभाग को नुकसान पहुंचाया. इधर लेनदेन के बड़े-बड़े खेल खेले जा रहे थे, उधर महज डीजल की मात्रा ज्यादा होने पर जांच बैठा दिया गया. विभागीय सूत्र कहते हैं कि चार्जशीट निरस्त करने के ऐवज में सीसीएफ ने रेंजर से मोटी रकम ले ली. इसके बाद भी चार्जशीट पेश कर दी. बेचारे रेंजर का प्रमोशन रुक गया. नाराज रेंजर ने विभाग के आला अफसरों को लिखी चिट्ठी में सीसीएफ की पोल खोल दी. सुना गया है कि मुख्यालय ने जांच कराई और जांच में शिकायतों को गंभीरता से लिया गया. चर्चा तो यहां तक की है कि जिस अफसर ने जांच की उसने सीसीएफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने तक की अनुशंसा कर दी है. अब मामला उसी आला अफसर के पाले में हैं, जिस पर सीसीएफ डीएफओ की आड़ में निशाना साध रहे हैं…
वक्त के पाबंद ‘साहब’
वन महकमा इस हफ्ते खूब चर्चा में है. एक चर्चा यह भी. पिछले दिनों नेशनल जू अथॉरिटी की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई. यह बैठक वर्चुअल थी. तमाम राज्यों के वाइल्ड लाइफ से जुड़े अफसर बैठक में शामिल थे. सूबे से भी वाइल्ड लाइफ के आला अफसर के साथ अन्य अफसरान शरीक हुए. उधर बैठक शुरू हुई, इधर वाइल्ड लाइफ के आला अफसर ने दफ्तर से अपना कामकाज समेट लिया. अपने मोबाइल पर लिंक ओपन कर अफसर दफ्तर से नीचे उतरे और कार में सवार होकर घर की ओर रवाना हो गए. वर्चुअल बैठक दफ्तर के कमरे से निकलकर कार में जा सिमटी. बैठक की गंभीरता का दायरा भी सिमट गया. देशभर के वाइल्डलाइफ अफसर और एक्सपर्ट दफ्तरों से बैठक कर रहे थे. सूबे के आला अफसर सड़कों पर इधर उधर पसरी हरियाली ताकते हुए पूरा पूरा महसूस कर रहे थे कि वह जंगल विभाग के अफसर हैं. अफसर घर पहुंचे. कॉल बेल का बटन दबाया. घंटी बजी और भीतर घुस गए. वर्चुअल बैठक में देशभर से जुड़े लोगों ने दफ्तर से लेकर घर तक की वर्चुअल यात्रा कर ली. मातहत बताते हैं कि साहब वक्त के पाबंद हैं. दोपहर 12 बजे दफ्तर आते हैं और 3 बजे काम समेट कर लौट जाते हैं. बहरहाल नेशनल लेवल के एक वाइल्ड लाइफ अफसर ने इस पर टिप्पणी दर्ज करते हुए कहा कि, कम से कम महत्वपूर्ण बैठकों के दौरान जंगल विभाग के अफसरों का आचरण वैसा नहीं होना चाहिए.
‘गदर’: एक मरकाम कथा..
लगता है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. सत्ता-संगठन में टकराव की चर्चा आम थी ही कि अब संगठन में गदर मच गया. यह गदर महामंत्रियों की जिम्मेदारियां बदलने के बाद शुरू हुआ. पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने सभी महामंत्रियों की जिम्मेदारी बदल दी. केवल एक महामंत्री अरुण सिसोदिया की जिम्मेदारी बदले जाने के निर्देश थे. मगर मरकाम ने सब कुछ बदल डालूंगा वाले अंदाज में सभी महामंत्रियों के कामकाज में व्यापक बदलाव कर दिया. कल तक मोहन मरकाम के समर्थन में खड़ी नजर आने वाले कुमारी सैलजा भड़क गई और वह कर दिया जो आज तक किसी प्रदेश प्रभारी ने नहीं किया. मोहन मरकाम द्वारा जारी नई नियुक्ति आदेश को बाईपास कर दिया, बावजूद मरकाम अपने आदेश पर कायम रहे. दो टूक कह दिया कि प्रभारी के निर्देशों का पालन होगा, फिलहाल जारी किया गया आदेश ही अमल में लाया जाएगा. मरकाम सैलजा की आंखों में जा चुभे. कहते हैं कि मोहन मरकाम के साथ कुमारी सैलजा की बढ़ती तल्खी के बीच मध्यस्थता करने के इरादे से स्पीकर डाॅ.चरणदास महंत कूद पड़े. दिल्ली लौट रही सैलजा से मिलने एयरपोर्ट पहुंचे और तफ्तीश से बात की. गर्माहट में बर्फ डालने की कोशिश की, मगर सैलजा नहीं पिघली. संगठन का एक धड़ा कह रहा है मरकाम ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली. अब चर्चा है कि देश के कई राज्यों में होने वाले पीसीसी चीफ के बदलाव की सूची में मरकाम का भी नंबर लग सकता है.
सिंहदेव, महंत या ताम्रध्वज?
मल्लिकार्जुन खरगे की नई टीम जल्द ही आकार लेगी. सोनिया-राहुल के विदेश दौरे की वजह से सीडब्ल्यूसी की सूची अटक गई थी. विदेश वापसी हुई. राहुल विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने पटना चले गए. लगता है अब सूची जारी कर दी जाएगी. चर्चा है कि सीडब्ल्यूसी की सूची में छत्तीसगढ़ के नेताओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा. भूपेश बघेल मुख्यमंत्री की हैसियत से परमानेंट इनवाइटी होंगे ही. इनके अतिरिक्त एक चेहरा और लिया जा सकता है. कहा जा रहा है कि ताम्रध्वज साहू, टी एस सिंहदेव या डाॅक्टर चरणदास महंत में से किसी एक चेहरे को सीडब्ल्यूसी में शामिल किया जा सकता है. ताम्रध्वज पहले भी सीडब्ल्यूसी के सदस्य रहे हैं. ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला है. वहीं टी एस सिंहदेव और महंत के अपने सियासी समीकरण हैं.
पॉवर सेंटर: बिजली का झटका…बुरे दिन…’माचो मैन’…सेफ कार्नर…इतने इत्तेफाक… वार रूम…
जीएम नपे!
छत्तीसगढ़ में तैनात एफसीआई के जीएम बदल दिए गए. उनका तबादला चेन्नई कर दिया गया है. यह तबादला केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से की गई एक शिकायत के बाद किया गया. ऐसे में माना जा रहा है कि तबादले का आधार यह शिकायत ही है. छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर की केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को लिखी अपनी शिकायती चिट्ठी में कहा था कि प्रति लाॅट 7500 रुपए रिश्वत मांगी जा रही है. अपनी शिकायत में चंद्राकर ने यह भी आरोप लगाया था कि एफसीआई के अफसर कहते हैं कि रिश्वत की रकम का एक हिस्सा मंत्री को भी दिया जाता है. इस शिकायत के बाद ही जीएम को चेन्नई भेज दिया गया. कहा जा रहा है कि चुनाव करीब आते-आते केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ में तैनात अपने उन अफसरों को ठिकाने लगा सकती हैं, जिनके खिलाफ गंभीर किस्म की शिकायतें हैं या ऐसे अफसर जिसकी राज्य सरकार से अच्छी खासी बन रही है. एक आधिकारिक सूत्र की माने तो राज्य के सार्वजनिक उपक्रम बीएसपी, एनटीपीसी, एसईसीएल में अहम पदों पर बैठे अफसर बदलाव की जद में आ सकते हैं. राज्य का बीजेपी संगठन इसे ओम माथुर इंपैक्ट बता रहा है.