Column By- Ashish Tiwari, Resident Editor

लानत है..

सरकारी नौकरी करके भी अगर रिश्वत नहीं ली, तो लानत है ऐसी नौकरी पर. सरगुजा के उदयपुर विकासखंड के एसडीएम ने यकीनन यही सोचा होगा. रिश्वत की पेशगी मिली ही थी कि उनके एक बड़े भागीरथी प्रयास पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने रोड़ा अटका दिया. धर लिए गए. सरकारी नौकरी में संसाधनों का दोहन करने के साथ-साथ सरकारी नियम कानून के पचड़े में फंसे जरूरतमंदों से रिश्वत की रकम नोच लिए जाने का अदम्य साहस एसडीएम के भीतर कूट-कूट कर भरा था. एसडीएम ने अपने नाम तीन-तीन सरकारी बंगला अलाट करवा रखा था. मालूम नहीं इन तीन बंगलों का इस्तेमाल किन-किन कामों के लिए किया जाता रहा होगा. खैर, चुनाव में वोट देने वाला हर दूसरा शख्स जमीन जायदाद संबंधी मामलों को लेकर रोजाना सरकारी दफ्तर पहुंचता है. पटवारी से लेकर बाबू और बाबू से लेकर एसडीएम तक उसका पाला पड़ता है. सरकारी की साख इन दफ्तरों से तब गिरनी शुरू होती है, जब बुनियादी काम के ऐवज में रिश्वत की पेशगी चढ़ानी पड़ जाए. पूर्ववर्ती सरकार इसका नायाब उदाहरण है, जब पांच हजार रुपए की प्रचलित व्यवस्थाओं पर पचास हजार रुपए तक वसूले जाने लगे थे. जब वोट की पारी आई, तब वोटरों ने उठा-उठाकर पटका. सत्ता से बेदखल कर दिया. समय रहते सबक ले लेने में ही भलाई है. फिलहाल तो एंटी करप्शन ब्यूरो ने एसडीएम की रिश्वत लेने की थ्योरी बिगाड़ दी है, मगर व्यवस्था के स्तर पर सरकार को एक मजबूत पारदर्शी ढांचा बनाए जाने की जरूरत है.

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‘सु’ और ‘कु’ का फर्क

सुपोषण और कुपोषण में महज एक सु और कु का फर्क है. पोषण तो दोनों में ही रह जाता है. बस इसी रह जाने वाले पोषण से राज्य की महिलाओं और बच्चों को सुपोषित करने की मंशा दिख रही है. इस मंशा को देख-समझ कर यह मान लिया जाना चाहिए कि राज्य की महिलाएं और बच्चे खूब फल फूल रहे हैं. यह हाल तब है जब राज्य में एक महीने से रेडी टू ईट की सप्लाई बंद होने की खबर आ रही है. रेडी टू ईट सप्लाई करने वाली एजेंसी को पांच महीनों से पेमेंट नहीं किया गया. सो एजेंसी ने इसकी सप्लाई बंद कर दी. पिछली सरकार ने महिला स्व सहायता समूह से यह काम छीन कर एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार कर दिया था. अब भी यही सिस्टम जारी है. भीतर खाने से खबर बाहर आई है कि पेमेंट से जुड़ी नोटशीट की फाइल मंत्री बंगले में धूल खाती पड़ी रह गई. इससे सवाल उठने लगा कि महिलाओं और बच्चों के पोषण की चिंता करने वाले जिम्मेदारों की आखिर मंशा क्या है? पूछताछ हुई तब बताया गया कि रेडी टू ईट सामग्री की क्वालिटी जांच किए जाने के नाम पर पेमेंट की फाइल रोक दी गई थी. ऊपर वालों को यह समझते देर नहीं लगी कि इस जांच के नाम पर महकमे का कौन सा कुपोषित तबका सुपोषित होने का रास्ता ढूंढ रहा है? अब सुना गया है कि कड़ी फटकार के बाद फाइल आगे बढ़ा दी गई है.

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काबिल अफसर

नीट पेपर लीक मामले ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुंह पर कीचड़ फेंका है. लाखों बच्चों की मेहनत पर पानी फिर गया. सवाल उठे, जवाब से भागने की कोशिश हुई. दबाव बढ़ा, तो अब कार्रवाई के नाम पर साफगोई दिखाने की कोशिश चल रही है. इस मामले में सीबीआई जांच का ऐलान हुआ. एनटीए के डीजी सुबोध सिंह हटा दिए गए. सुबोध सिंह को हटाकर उन्हें कसूरवार ठहरा दिया गया. सुबोध सिंह छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अफसर हैं और उन्हें जानने वाले यह बखूबी समझते हैं कि वह एक कायदे के ब्यूरोक्रेट हैं. सुबोध सिंह को जब जैसी जिम्मेदारी मिली, उस पर वह खरे उतरे. तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह के सचिव रह चुके सुबोध हर बड़े टास्क को पूरी करने की काबिलियत रखने वाले अफसर माने जाने हैं. पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने जब उन्हें लूप लाइन कहे जाने वाले श्रम विभाग की जिम्मेदारी सौंपी, तब भी उन्होंने कई बड़े काम किए. कहते हैं कि तब सरकार उन्हें रोकना चाहती थी, मगर इससे पहले ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की हरी झंडी उन्हें दी जा चुकी थी. लब्बोलुआब यह है कि ब्यूरोक्रेसी कई बार तलवार की धार पर चलने की तरह है, जब तक किस्मत बुलंद है, तब तक इसकी चुभन महसूस नहीं होती. पर जब भाग्य मुंह फेर ले तब हर कदम भारी पड़ता है. बहरहाल राज्य की साय सरकार में कायदे के कुछ ही अफसर हैं. यह बेहतर मौका है कि सुबोध सिंह जैसे काबिल अफसर की वापसी कराई जाए.

पाॅवर सेंटर : किस्सा ए बंगला.. लाॅटरी..बाबा की शरण..निशाने पर ‘कलेक्टर’..नियुक्ति पर नाराज..ढाबा में बवाल..- आशीष तिवारी

जमीन पर रहे मंत्री

सरकार के कई मंत्रियों को हवा में उड़ता देख भाजपा संगठन के आला नेताओं ने अपनी आंखे तरेर दी है. पिछले हफ्ते प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने मंत्री-विधायकों की क्लास लगाई. सुनते हैं कि इस क्लास में प्रभारी ने मंत्रियों को कड़वी घुट्टी पिलाई है. साफ-साफ कह दिया है कि सभी जमीन पर रहे, उड़ना बंद कर दें. दरअसल विधायकों ने प्रभारी से शिकायत की थी कि मंत्री उनका फोन नहीं उठाते. इस शिकायत के बाद मंत्रियों को दो टूक कह दिया गया है कि अगर भूल गए हैं, तो फोन उठाना सीख जाए. सूबे के कई मंत्री आसमानी इरादे के साथ काम कर रहे हैं. आसमानी इरादे कहीं का नहीं छोड़ते. जमीनी इरादों की पकड़ ज्यादा मजबूत होती है. पैर जमे रहते हैं. गिरने का खतरा नहीं होता.

पॉवर सेंटर : ‘विधायक की करतूत’..’सम्मान ‘कुर्सी’ का’..’एफआईआर’..’और भी मामले..”सलाहकार कौन?’..’आईपीएस तबादला’..- आशीष तिवारी

मंत्री कौन?

बीते शनिवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राजभवन हो आए. राज्यपाल से करीब 40 मिनट की मुलाकात रही. इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री का X पर बयान आया कि उन्होंने खाद-बीज की उपलब्धता,खेती-किसानी और राज्य में चल रही योजनाओं की जानकारी राज्यपाल को दी है. मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों के बीच हुई इस मुलाकात के पीछे की असल वजह हर कोई समझ रहा है. यह बात और है कि फिलहाल इसे रिवील करने की जल्दबाजी में सरकार नहीं है. एक अनार सौ बीमार वाले हालात हैं. जब नाम का खुलासा होगा, तब शायद कईयों की रातों की नींद उड़ जाएगी. मुमकिन है कि मुख्यमंत्री इस वक्त कमजोर दिल वालों की चिंता कर रहे होंगे.

पॉवर सेंटर : सुई धागे से सिर्फ कपड़े नहीं, होंठ भी सिले जाते हैं… चतुर नेता… सेफ लैंडिंग!… घेरे में सेक्रेटरी..- आशीष तिवारी