(सुधीर दंडोतिया की कलम से) 

वाइब्रेंट के बाद चौंके अफसर

वाइब्रेंट गुजरात में मध्य प्रदेश से नेताओं के साथ आला अफसर भी शामिल हुए. वाइब्रेंट इवेंट में शामिल होने के लिए अहमदाबाद का रूट तय हुआ. लेकिन कार्यक्रम से पहले और कार्यक्रम के बाद शहर भ्रमण कर कुछ अफसर चौंके गए. कारण था कार्यक्रम स्थल और रोड-शो के साथ प्रमुख स्थानों को छोड़कर अलग से कोई तामझाम नहीं दिखा. इन स्थलों पर पीएम और सीएम के फोटो वाले भी चुनिंदा होर्डिंग ही लगे थे. होर्डिंग में अलग से किसी को स्थान मिला तो सिर्फ चुनिंदा हस्तियों को. इसके अलावा शहर, चौराहे आम ही रहे. वहीं अफसरों को ये बात भी हैरत लगी कि पूरे शहर में एक भी गाड़ी पर न तो विधायक, नेताओं के नाम की प्लेट थी, न ही किसी अफसर के नाम की प्लेट दिखी मिली. अहमदाबाद से भोपाल लौटते समय हवा में अफसरों के बीच ये बात भी चर्चा का विषय बनी रही कि गुजरात में वीआईपी कल्चर है ही नहीं.

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मंत्रीजी को मजा नहीं आ रहा

मध्य प्रदेश के एक नेता को मंत्री बनने के साथ महत्वपूर्ण विभाग मिलने के बाद भी मजा नहीं आ रहा. मंत्रीजी मंत्रालय में अफसरों को लेकर बैठक के लिए बैठते हैं. विचार-मंथन और प्लानिंग भी होती है. लेकिन फिर भी मंत्रीजी को वैसा मजा नहीं आ रहा, जैंसा वो चाहते थे. विभाग के कामों की मीटिंग को मंत्रीजी बहुत हल्के में ले रहे हैं. दरअसल मंत्रीजी को सरकार में और बड़ा औहदा मिलने की उम्मीद थी. अब नई सरकार की तस्वीर साफ हुए महीनाभर हो रहा है, इसके बाद भी मंत्रीजी पुराने ख्वाब ही संजोए हुए हैं.

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आवेदनों से मंत्री परेशान

सांसद से मंत्री बने नेताजी ने विभाग का कामकाज समझना ही शुरू किया कि मंत्रीजी के पास तबादलों के आवेदनों की झड़ी सी लग गई है. आवेदन लेकर आने वालों को मंत्रीजी का स्टाफ समझाता है कि विभाग अध्यापन कार्य से जुड़ा है. विभाग में तबादलों के सबसे अधिक आवेदन आने से यहां ट्रांसफर सामान्य तबादलों की स्थिति में भी नहीं होते, बल्कि विशेष पाॅलिसी के तहत होते हैं. फिलहाल तो सरकार ने सामान्य तबादले भी नहीं खोले हैं. इस समझाइश का भी आवेदकों पर कोई असर नहीं हो रहा और आवेदक अपने आवेदन सौंपने के बाद ही रवाना होते हैं…

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वक्त बड़ा बलवान है….नेताजी

मध्य प्रदेश कांग्रेस ग्वालियर-चंबल इलाके से लोकसभा चुनाव मे कामयाबी मिलने की उम्मीद लगाई बैठी है, एमपी में लोकसभा के कई सीटों पर कांग्रेस को मजबूत दावेदार ढूंढने में पसीने आ रहे हैं, लेकिन ग्वालियर चंबल की लोकसभा सीटों पर एक अनार सौ बीमार जैसे हालात बन गए हैं… ग्वालियर चंबल संभाग के तीन कांग्रेस के दिग्गज नेता पहली बार विधानसभा का चुनाव हारे हैं. अब ये नेताजी सपना देख रहे हैं की  विधानसभा नहीं पहुंच पाए तो संसद का कोशिश कर लेते है. शुरुआत में इन दिग्गजों की राह टिकट के मामले मे आसान नजर आ रही थी, लेकिन जिस तरीके से कई नेताओं ने दावेदारी जताई उसके बाद ये दिग्गज वेट एंड वॉच की स्थिति में चले गए हैं. अब इंतजार कर रहे हैं पार्टी के फैसले का….इनमें एक बड़े नेता 4 महीने पहले तक विधानसभा का टिकट बांट रहे थे. लेकिन हार के बाद ऐसा खेल बदला की आज वो खुद के टिकट के लिए आलाकमान से गुहार लगा रहे हैं. 

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