प्रदीप मालवीय, उज्जैन। बुल्गारिया में हुए विश्व जूनियर कुश्ती चैम्पियनशिप में उज्जैन का डंका बजा है। उज्जैन की ‘प्रियांशी प्रजापत’ ने मंगोलिया की मुंखगेरे मुंखबत को हराकर कांस्य पदक पर कब्जा किया। प्रियांशी प्रजापत ने 50 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता है। प्रियांशी प्रजापत ने कांस्य पदक जीतकर अपने शहर प्रदेश एवं देश का नाम गौरवान्वित किया। प्रियांशी प्रजापत ने चैम्पियनशिप में शीर्ष-16 राउंड में अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता कज़ाकस्तान की लौरा गानिकज़ी को 8-0 से हराया। वहीं क्वार्टरफाइनल में उन्होंने यूक्रेन की एडा केरिमोवा को 9-7 से मात दी। प्रियांशी प्रजापत को सेमीफाइनल में जापान की उमी इतो के हाथों तकनीकी श्रेष्ठता (10-0) के आधार पर हार मिली। हालांकि कांस्य पदक मैच में उन्होंने मंगोलिया की मुंखगेरे मुंखबत को (12-4) से हराकर अपना पहला विश्व पदक जीत कर उज्जैन और मध्यप्रदेश का नाम विश्व में गौरवान्वित किया। प्रियांशी अब तक 600 से ज्यादा कुश्ती लड़ चुकी है और कई नेशनल मेडल जीत चुकी है।
प्रियांशी की इस उपलब्धि पर मध्यप्रदेश कुश्ती संघ (Madhya Pradesh Wrestling Federation) के अध्यक्ष और उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव (Higher Education Minister Dr. Mohan Yadav), ओलंपियन पप्पू यादव, विक्रम अवार्डी खत्री, सुरेश राणे, विनय कुमार, गोविंद गुर्जर, विकास यादव, अंतरराष्ट्रीय कोच राधेश्याम आर्य ने बधाई दी। अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में लगातार मध्यप्रदेश की उपस्थिति से ओलंपियन पप्पू यादव ने प्रदेश की विकसित हो रही कुश्ती पर प्रशंसा जाहिर की है।
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खेल मंत्री यशोदा राजे सिंधिया ने दी बधाई
कुश्ती वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए कांस्य मेडल जीतने वाली कुमारी प्रियांशी मुकेश प्रजापत को भोपाल में खेल मंत्री यशोदा राजे सिंधिया (Sports Minister Yashoda Raje Scindia) ने भी भारत देश के लिए मेडल जीतने पर बधाई दी। वहीं भारतीय जनता पार्टी प्रदेश ओबीसी मोर्चा के कार्यकारिणी सदस्य पार्षद गब्बर भाटी ने भी उज्जैन पहुँचने पर प्रियांशी का स्वागत किया। उज्जैन अपने घर पहुंची प्रियांशी का बड़ी ही गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया।
प्रियांशी के पिता भी रेसलर, चार बच्चों में से 3 को रेसलर बनाया
बता दें कि प्रियांशी के पिता मुकेश प्रजापत भी अपने समय के अच्छे रेसलर रह चुक हैं। चार बच्चों के पिता मुकेश ने तीन बच्चों को रेसलर बनाया है। प्रियांशी की बड़ी बहन भी नेशनल रेसलर है। वहीं छोटा भाई भी कुश्ती के दांव-पेंच सिख रहा है। प्रियांशी अब तक 600 से ज्यादा कुश्ती लड़ चुकी है और कई नेशनल अवार्ड अपने नाम कर चुकी है। प्रियांशी में पिता का सपना है कि प्रियांशी ओलम्पिक में खेले और अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर लाए।
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