Raipur News: प्रतीक चौहान. अगस्त 2022 के महीने में जिस रेलवे अधिकारी के घर करीब 30 लाख से अधिक की चोरी हुई थी, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने इसकी एफआईआर दर्ज पुलिस में नहीं कराई, तब ये कहा जा रहा था कि संभवतः वो पैसा दो नंबर का हो सकता है… इसलिए वो इसकी एफआईआर नहीं करवा रहे है. अब उसी अधिकारी के नेतृत्व में एक बड़ा खेल सामने आ गया है.

 रेलवे के जीएसडी में दिल्ली की एक पार्टी को रेलवे ने स्क्रैप बेचा. लेकिन पार्टी  ने स्क्रैप की जगह वो माल भी भर लिया जो उस लो कैटेगिरी का था ही नहीं. इसी बात को लेकर शनिवार को उक्त रेलवे के बड़े अधिकारी, खरीदने वाले कंपनी के स्टॉफ और रेलवे स्टॉफ के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई.

 इसके बाद रेलवे ने आरपीएफ को इसकी सूचना दे दी और उक्त ट्रक को वापस जीएसडी में रोक लिया गया और आज सोमवार को उस ट्रक को पूरा खाली करवा लिया गया. जिसमें ये कहा जा रहा है कि बड़ी मात्रा में वो लोहा मौजूद है जो उक्त कंपनी ने स्क्रैप में खरीदा ही नहीं है.

अब सवाल ये है कि बिना रेलवे अधिकारियों के साठ-गाठ के कैसे कोई कर्मचारी स्कैप को ट्रक में लोड कर सकते है ? यही कारण है कि इस मामले में अब तक किसी भी प्रकार की एफआईआर आरपीएफ ने दर्ज नहीं की है.

वहीं उस स्क्रैप को खरीदने वाली कंपनी को भी बचाया जा रहा है.  अब सवाल ये है कि स्कैप की चोरी के इस मामले में रेलवे के उच्च अधिकारियों और स्क्रैप  खरीदने वाली कंपनी को क्यों बचाया जा रहा है ?

जबकि इसके जगह यदि कोई गरीब कबाड़ी को यदि ऐसे मामलों में पकड़ता जाता है तो सीधे एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया जाता है.

ट्रक में लोड करना अपराध नहीं  ?

अब सवाल ये है कि रेलवे का वो लोहा जो कंपनी को ले जाना नहीं था, रेलवे अधिकारियों को वो लोहा देना नहीं था. और इस स्थिति में यदि रेलवे अधिकारियों की मौजूदगी में वो लोहा भरा गया, कंपनी ने अपनी गाड़ी में उसे लोड किया तो क्या ये अपराध की श्रेणी में नहीं आता ?

हालांकि रेलवे के अधिकारी इस मामले में जांच करने की बात कह कर चुप्पी साधे हुए है.