हर्षराज गुप्ता, खरगोन। White Krait Snake: मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के मण्डलेश्वर के ग्राम जलुद में दुर्लभ व्हाइट करैत स्नेक (rare white krait) मिला है। ग्रामीणों ने सफेद करैत सांप को देखा तो उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। सफेद सांप दिखने पर ग्रामीणों ने इसकी सूचना ‘थैंक्यू नेचर वेलफेयर सोसायटी’ (Thank You Nature Welfare Society) और वन विभाग को दी। इसके बाद ‘थैंक्यू नेचर वेलफेयर सोसायटी’ और वन विभाग ने रेस्क्यू किया। रेस्क्यू के बाद दुर्लभ व्हाइट करैत स्नेक को वन विभाग ने अपनी सुरक्षा में ले लिया। वन विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश और मंडलेश्वर क्षेत्र में इस प्रजाति का यह सांप दूसरी बार मिला है। भारत में यह तीसरा करैत प्रजाति का सांप मिला है, जिसका रंग सफेद है।

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दरअसल थैंक्यू नेचर की रेस्क्यू टीम को रात करीब साढ़े नौ बजे जलूद निवासी पंकज सिंह सोलंकी ने सूचना दी की जालुद स्थित राम मंदिर प्रांगण में सफेद सांप निकला है। संस्था के सदस्य तुरंत वहां पहुंचे और उसे रेस्क्यू किया।

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29 जून 2020 में भी मिला था सफेद करैत

संस्था अध्यक्ष महादेव पटेल ने बताया इससे पहले 29 जून 2020 में भी करैत प्रजाति का सफेद सांप मिला था। इसके पूर्व भुवनेश्वर में मिला था। संस्था के सदस्य अरुण केवट ने बताया आमतौर पर कॉमन करैत प्रजाति के सांप काले रंग के होते हैं। इस सांप की लंबाई करीब 18 इंच है।

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जेनेटिक में चेंज के कारण व्हाइट रंग का हो जाता है

एसडीओ फॉरेस्ट एमएस मौर्य ने कहा कि करैत सांप की प्रजाति विशेष श्रेणी या विलुप्त प्रजाति में नहीं है। यह भारत सहित निमाड़ क्षेत्र में आसानी से मिलने वाला सांप है। हालांकि इसका पूरा रंग सफेद होने के कारण इस सांप को विशेष कहा जा सकता है।एसडीओ मौर्य ने कहा इसे किसी भी प्राणी का सफेद होना एल्बिनो कहलाता है। इसे ऐक्रोमिया, ऐक्रोमेसिया, या ऐक्रोमेटोसिस (वर्णांधता या अवर्णता) भी कहा जाता है। गर्भ में शिशु के शरीर में मेलेनिन के उत्पादन में शामिल एंजाइम के अभाव की वजह से त्वचा, बाल और आँखों में रंजक या रंग के सम्पूर्ण या आंशिक अभाव द्वारा चिह्नित किया जाने वाला एक जन्मजात विकार है। यह विकार किसी भी जीव में पाया जा सकता है। फिलहाल में यह सांप वन विभाग की अभिरक्षा में स्वस्थ अवस्था में है। उच्च अधिकारियों के निर्देश मिलने पर आगे की करवाही की जायेगी।

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