रायपुर. सीडी कांड में रिंकू खनूजा की मृत्यु को हत्या मानकर नए सिरे से फ़ॉरेंसिक एक्सपर्ट की उपस्थिति में जाँच की मांग को लेकर डीजीपी ए.एन उपाध्याय को कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन सौंपा है. बता दें कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी ने विगत 7 जून को इस मामले पर प्रेस कांफ्रेंस भी लिया था. कांग्रेस कमेटी ने रिंकू खनूजा के मामले को फारेंसिक एक्सपर्ट से जाँच की मांग की है. बीते दिनों लिए प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस ने कहा था कि रिंकू खनूजा की मृत्यु आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है. इधर पुलिस इस मामले को आत्महत्या बता रही है. कांग्रेस ने इसे हत्या करार देते हुए डीजीपी को कई बिन्दुओं पर सिलसिलेवार जानकारी सौंपी है.

1 यह पूरी तरह से सुनियोजित राजनैतिक हत्या है, जिसे राज्य सरकार के इशारे पर आत्महत्या साबित कर पुरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कार्यवाही की जा रही है।

2 सीबीआई तीन दिन तक लगातार रिंकू खनूजा को बयान लेकर प्रताड़ित कर रही थी और चौथे दिन उसके नहीं आने पर मौन कैसे रह गयी? एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है। रिंकू खनूजा की मां ने बताया कि उसे सीबीआई वाले घर से लेकर जा रहे थे तो फिर क्या कारण कि सीबीआई ने उस दिन 04.06.2018 और 05.06.2018 को उसकी मृत्यु की सूचना मिलने के बाद भी सीबीआई की ओर से इस पूरे घटना क्रम पर चुप्पी साधे रहना बहुत सारे संदेहो को जन्म देता है।

3 रिंकू खनूजा की मां ने बताया कि रिंकू की उंचाई लगभग साढ़े 5 फीट थी और जिस जगह पर वह फांसी के फंदे पर लटका पाया गया उसकी जमीन से लेकर छत की उंचाई महज साढ़े 6 फीट थी, ऐसी दशा में आत्महत्या प्रथम दृष्टया असंभव है। एक अनपढ़ व्यक्ति भी यह बता सकता है इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार की पुलिस और चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों ने आनन-फानन में जिस तेजी से आत्महत्या कहकर प्रचालित एंव प्रसारित किया गया है। यह पूरे मामले में सीबीआई को तोता साबित करने कि दिशा में पर्याप्त है।

4 जिस तरह मृतक के घुटने जमीन पर लगे है और उसके पंजे आपस में क्रॉस है जो कि स्वंय के द्वारा फांसी लगाने पर संभव नहीं, जिससे स्पष्ट है कि उसे मारकर लटकाया गया है।

5 मृतक रिंकू खनूजा के पांव पर किचड़ दिखाई दे रहा है जबकि रूम के आसपास कोई किचड़ के निशान नही है।

6 जिस तरह घुटने मुड़े हैं, ऐसी दशा में घुटने पर लिबीडिटी (नीलापन) दिखना चाहिये, जो कि इसमें नहीं दिख रहे है, और केवल एक पैर के पंजो में लिबीडिटी दिख रही है इससे साफ है कि किसी अन्य स्थान पर रिंकू को मारा गया/लगातार बॉडी स्पॉट करने से भी संभव होता। जिसके कारण उसके पांव के पंजो पर लिबीडिटी थी, जो ये साबित करने के लिये पर्याप्त है कि रिंकू की आत्महत्या नहीं वरन सूनियोजित राजनैतिक हत्या है।

7 रिंकू के जीभ में जो कालापन का निशान है वह फांसी लगाकर आत्महत्या की दशा में नहीं होता वह केवल उसी दशा में होता है जब वॉयलेन्ट, तीव्र स्वांस अवरोध के दशा में ही आता है। नाक एवं मुंह से रक्त मिश्रीत Asphyxia लार था बहाव नहीं है। जबकि जीभ पर त्रीव लिबीडिटी है।

8 जिस तरह कि तेजी इस पूरे घटनाक्रमा में छत्तीसगढ़ पुलिस ने दिखाई उसके चक्कर में जांच के मूलभूत तौर तरीके के भी पुलिस अधिकारियों ने पूरा नही किया। पूरे घटना स्थल को खुला छोड़ दिया गया, उसे सील बंद नही किया गया। फारेन्सिक एक्सपर्ट से जांच नही कराई गयी फिंगर प्रिंट आदि भी नहीं लिये गये ना ही घटना स्थल की सही फोटो ग्राफी की गई। पोस्टमार्टम के लिये भेजने पर भी जल्दबाजी की गयी, डॉक्टर के डांटने के पश्चात घटना स्थल की फोटो देने के बाद ही उसका पोस्टमार्टम किया गया।

9 क्योंकि मृतक के दोनों पैर घुटने तक जमीन से जुड़े हुए थे ऐसी परिस्थिति में कोई भी व्यक्ति अपने आप को नीचे खींच कर अपने गर्दन पर प्रेशर डालकर आत्महत्या नहीं कर सकता।

10 क्योंकि रिंकू खनूजा के एक पैर में कीचड़ लगा हुआ था और दूसरा पैर साफ था साथ ही साथ पूरे फ्लोर में कहीं पर भी मिट्टी दाग धब्बे नहीं थे तो क्या रिंकू खनूजा उड़ते हुए आकर फांसी पर सीधे लटक गया था।

11 जिस ढंग से रिंकू खनूजा अपने दोनों पैरों को जमीन में टिका कर लटका हुआ है ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति को नीचे से जब तक कोई नहीं खींचे अथवा जबरदस्ती बांधकर खींचने का प्रयास ना करें उसकी मृत्यु हो पाना सैद्धांतिक रूप से संभव नहीं है।

12 रिंकू खनूजा की मां का यह बयान कि उसके पुत्र ने एक रात पहले ही उन्हें कहा था कि उसे बेतहाशा मारपीट की जा रही है, और उसके शरीर पर चोट के निशान हैं तथा उन्होंने रिंकू खनूजा को पीठ में दर्द निवारक दवाइयां लगाई थी, तो ऐसा कौन सा तथ्य रिंकू ने बताया था जिससे सीबीआई उसे इतना टॉर्चर कर रही थी।

13 जिस तरीके से रिंकू खनूजा के गले में रस्सी बंधा हुआ है एवं जिस तरीके से लटका पाया जा रहा है इसमें अकेले एक व्यक्ति के द्वारा ऐसे अपने आप को फांसी पर लटकाना संभव नहीं है अर्थात इस पूरे मामले में अन्य किसी व्यक्तियों का भी इंवॉल्वमेंट संभव है।

14 अभी तक राज्य सरकार अथवा सीबीआई अथवा पुलिस ने यह बताने का प्रयास नहीं किया कि सीबीआई अथवा रिंकू खनूजा के पास ऐसे कौन से तथ्य और जानकारी उपलब्ध हो गई थी या जानकारी उपलब्ध कराई गई थी या छुपाया जा रहा था जिसके कारण यह जघन्य हत्या या आत्महत्या हुई है।

15 रायपुर के पुलिस अधीक्षक ने आनन-फानन में तत्काल ही रिंकू खनूजा की हत्या को आत्महत्या कैसे डिक्लेयर कर दिया। (छत्तीसगढ़ पुलिस कभी-कभी अचानक स्मार्ट हो जाती है, 2 घंटे में दिल्ली पहुंच कर अरेस्ट करती है फिर 90 दिन तक चालान नही)

16 पोस्टमार्टम करने के पहले राज्य सरकार ने अथवा लोकल पुलिस ने रिंकू खनूजा के संबंध में सीबीआई को पूछताछ अथवा जानकारी के लिए आमंत्रित क्यों नहीं किया क्योंकि यह मामला राज्य सरकार पुलिस के सामने नहीं बल्कि सीबीआई के द्वारा इन्वेस्टीगेशन चल रहा था एवं सीबीआई के लंबित मामले में एक व्यक्ति की हत्या हुई है। (क्या नियमानुसार राज्य पुलिस, सीबीआई के अधिकारियों का बयान और प्रक्रिया पूछ सकती है?)

17 इस समस्त प्रकरण में रिंकू खनूजा की लाश को आनन-फानन में अंतिम संस्कार करने की इजाजत पुलिस ने क्यों दी तथा पुलिस ने अंतिम संस्कार के पूर्व उच्च स्तरीय जांच तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्यों नहीं करवाया वह भी सीबीआई के अधिकारियों के समक्ष क्योंकि मामला सीबीआई के समक्ष लंबित था और सीबीआई के लंबित प्रकरण में राज्य सरकार ने घुसकर रिंकू खनूजा के मामले में क्यों इंटरेस्ट दिखाया।

कांग्रेस कमेटी ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा है कि उपरोक्त उल्लेखित बिन्दुओं के आधार पर नम्र निवेदन है कि इस पूरे मामले की जांच नये सिरे से जिम्मेदार फारेंसिक एक्सपर्ट की उपस्थिति में कराया जाये और वर्तमान में जिन अधिकारियों ने लापरवाही बरतते हुये इस प्रकरण को आत्महत्या साबित करने में जल्दबाजी दिखाई है उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई तत्काल किया जाये. प्रदेश के डीजीपी ए.एन. उपाध्याय को ज्ञापन सौपने वालों में संचार विभाग के सदस्य किरणमयी नायक, पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा, कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता, शहर जिला अध्यक्ष विकास उपाध्याय शामिल थे.