रायपुर. डीजी साहब आरपीएफ में आपकी छवि बेहद इमानदार और सख्त अधिकारी के रूप में की जाती है. लेकिन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के आईजी आरएस चौहान , नागपुर रेल मंडल के आरपीएफ कमांडेंट आशुतोष पांडे और रायपुर आरपीएफ कमांडेंट अनुराग मीणा आपकी इस छवि को दागदार करने में लगे हुए है, दागदार इसलिए क्योंकि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर रेल मंडल में पटरी गलाने वाले मालिकों पर आरपीएफ के ये सभी अधिकारी महरबान नजर आ रहे है. आरपीएफ आईजी और उनका पूरा अमला वह बिचौलिए दलाल को भी नहीं पकड़ पाया है, जिसने विनोद मराठा और मालिक के बीच पटरी चोरी का सौदा कराया था.

 छिंदवाड़ा में 900 मीटर चोरी हुई पटरी के मामले में रायपुर के जिस हिंदुस्तान क्वाइल लिमिटेड और इस्पात इंडिया में इसे गलाया जा रहा था, उसके मालिकों के हाथों से हतकड़ी अब भी बहुत दूर है. नागपुर कमांडेंट आशुतोष पांडे ने केवल इन्हें समन जारी किया है, वह समन किस नाम से जारी किया है वह नाम भी आरपीएफ के आईजी आरएस चौहान और उनका पूरा अमला छिपा रहा है.

नागपुर आरपीएफ कमांडेंट आशुतोष पांडे

रायपुर आरपीएफ के डीएससी अनुराग मीणा भी इस मामले में सवालों के घेरे में है. आरपीएफ डीजी की ओर से पटरी चोरी होने के संबंध में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे, ये आदेश बिना रेलवे को हैंडओवर किए जाने वाली पटरियों के लिए भी थे. लेकिन अनुराग मीणा ने अब तक मंदिरहसौद में करोड़ों रुपए की पटरी चोरी के मामले में पटरी चोरी करने वाले के खिलाफ कोई एफआईआर आरपीएफ में दर्ज नहीं की है और न विनोद मराठा का बयान मंदिरहसौद में हुई चोरी के संबंध में लिया गया है.

आईजी बोले- आपको क्यों बताऊ

SECR के आईजी आरएस चौहान से लल्लूराम डॉट कॉम ने इस पूरे मामले में उनसे जानकारी चाही. पहले तो साहब ने ये कहकर अपने पल्ला झाड़ लिया कि ये सब कानूनी कार्रवाई है आपको क्यों बताऊ ? फिर उन्होंने कहा कि अखबारों और मीडिया में खबर आने के बाद आरोपी अलर्ट हो रहे है, लेकिन आईजी साहब, हम आपसे कार्रवाई के पहले की रणनीति नहीं पूछना चाहते है, लेकिन यदि आप ईमानदार है तो हम आपसे ये उम्मीद तो रखते है कि आप कार्रवाई होने के बाद मीडिया को ये जानकारी दें. आपने जिसके खिलाफ समन जारी किया है उसे तो ये पता चल ही गया, तो फिर आप उसका नाम क्यों छिपाना चाह रहे है ? 28-29 जनवरी से चल रही इस कार्रवाई के बाद अब तक आईजी और न नागपुर डीएससी ने पत्रकार वार्ता लेकर इस मामले का खुलासा किया. क्योंकि उन्हें पता है कि यदि वे मीडिया के सामने आएंगे तो उन्हें मालिकों पर की गई कार्रवाई का जवाब भी देना होगा, जो शायद उनके पास नहीं है. उनके पास तो एक ही जवाब होता है कि समन जारी किया है, पूछताछ करेंगे. कमांडेंट साहब! जवाब तो आपको विनोद मराठा भी यही दे रहा है कि उसने पटरी चोरी नहीं की, तो भला मालिक कैसे आपको बताएंगे कि उन्होंने पैसों की लालच में आकर रेलवे को चपत लगाने के लिए चोरी की पटरियां गलाकर अपनी तिजोरियां भर रहे है.

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