भोपाल। विधानसभा में अब ‘गलत’, ‘दिक्कत’ या ‘फर्जी बात’ भी विधायक नहीं बोल पाएंगे, क्योंकि इन सब शब्दों को असंसदीय शब्दों की पुस्तक में शामिल कर लिया गया है. यही नहीं गलत, गुपचुप, झूठ, दिक्कत, बेचारा, अन्याय, फर्जी बात, फर्जी जवाब, पाप, बेवकूफ, शर्मा करो, यह दादागिरी नहीं चलेगी, यार – जैसे शब्द भी असंसदीय शब्दों की पुस्तक में शामिल किए गए हैं.

सदन में शब्दों की मर्यादा को लेकर गाइडलाइन जारी किया गया. इस अवसर पर असंसदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह पुस्तक का विमोचन विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने किया. पुस्तक में 23 सितंबर 1954 से लेकर अब तक की विधानसभा कार्यवाही तक विलोपित किए गए शब्दों को स्थान दिया गया है. इसमें कुल 1161 शब्द चिन्हित किए गए है. 23 सितंबर 1954 को पहला असंसदीय शब्द बोला गया था. पहला शब्द ‘ससुर’ दूसरा शब्द ‘गंदी सूरत’ और तीसरा शब्द ‘चार सौ बीस’ था.

अभिनेता का रीटेक हो सकता है…

पुस्तक का विमोचन करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि जिस समय मुझे विधानसभा में शब्दों को विलोपित करना न पड़े. जब ऐसा हो जाएगा, उसी दिन ये पुस्तक हटा दी जाएगी. अभिनेता का रीटेक हो सकता है, लेकिन विधायकों का नहीं. लोकतंत्र का मंदिर होती है विधानसभा. जनता के इस मंदिर को आस्था का केंद्र बनाए रखने के लिए पुस्तक प्रकाशित की गई है.

छात्रों को सदन लगा था मछली बाजार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एक बार छात्र विधानसभा की कार्यवाही देखने आए. उन्हें अपने कक्ष में बुलाया और पूछा कैसा लगा, इस पर छात्र बोले हम कुछ सीखने के लिए आए थे, लेकिन उन्होंने कहा यहां तो मछली बाजार जैसा लगा. ऐसे में ये अभिनंदीय प्रयास है. कई बार विधायकों को ही नहीं पता कि कौन से शब्द असंसदीय हैं.

असंसदीय प्रथा पर निकालनी पड़ रही पुस्तक

कमलनाथ ने कहा कि अम्बेडकर ने संविधान समर्पित किया था. उसके मायने थे कि भारत का प्रजातंत्र विश्व में उदाहरण बने. प्रजातंत्र की नींव हमारी संसद और विधानसभाएं हैं. हम सब संसदीय प्रथा के रक्षक हैं, फिर ये असंसदीय प्रथा कैसे बढ़ती है. आज पुस्तक निकलना पड़ रहा है. मैं विधायकों की बुराई नहीं कर रहा, लेकिन ये जनता तो सोचती होगी.