इमरान खान, खंडवा। देश में जहां एक ओर सांप्रदायिक हिंसा से तनाव का माहौल बना हुआ है तो दूसरी ओर सुकून और प्रेरणा से भरी खबर भी है। महाराष्ट्र के सलीम इस्माइल पठान इन दिनों नर्मदा परिक्रमा पर पैदल चलकर खंडवा पहुंचे है। 51 साल के सलीम नर्मदा परिक्रमा पर निकले हैं। वे नमाज पढ़ने के साथ-साथ रोजा तो रखे ही हुए हैं, साथ ही सुबह-शाम पूजा-अर्चना और भजन भी करते हैं। उन्होंने अपना जीवन मां नर्मदा को समर्पित कर दिया है।

महाराष्ट्र के मालेगांव निवासी सलीम पठान अनोखे व्यक्ति हैं। उन्होंने अपना जीवन मां नर्मदा को समर्पित कर दिया है। उनका मानना है कि मां नर्मदा ने ही उन्हें दूसरी बार देखने की शक्ति दी है।

सलीम के मां नर्मदा के प्रति विश्वास की एक बड़ी वजह है। उनका मानना है कि मां नर्मदा की वजह से ही वे दोबारा देखने के लायक हुए हैं। उनकी आंखों की ज्योति दोबारा लौट आई है। नर्मदा भक्त सलीम जब खंडवा आए तो छनेरा बाजार चौक के परिक्रमावासियों के आश्रय स्थल पहुंचे। उनके मुताबिक, आंखों में धूल जाने की वजह से उनकी ज्योति चली गई और वे देख नहीं सकते थे। उस वक्त उनकी उम्र करीब 11 साल थी, उन्होंने बताया कि उनके इलाज के लिए माता-पिता दर-दर भटके, कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। सलीम ने बताया कि उनकी जिंदगी अंधेरे में डूब गई। 14 साल तक वे देख नहीं सके, इस बीच एक दिन चमत्कार हुआ।

जिंदगी उन्हें स्वामी जनार्दन गिरी के शिष्य के संपर्क में लाई। वे सलीम को एलोरा महामंडलेश्वर स्वामी शांतिगिरि महाराज के पास ले गए। महाराज ने उनका 21 दिन फल-फूल से शरीर शुद्ध किया। इसके बाद 8 दिन मौनव्रत का संकल्प और मां नर्मदा का मंत्र दिया। नर्मदा भक्त सलीम के मुताबिक मां की कृपा से 12 दिनों में आंखों की रोशनी लौट आई। इसके बाद वे माता-पिता से इजाजत लेकर फिर गुरु के पास गए, तब उन्होंने फैसला किया कि यह जीवन नर्मदा मैया की सेवा और श्रद्धा में अर्पित करेंगे।

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