सूरजपुर।  सूरजपुर में एक बार फिर से मानवता शर्मशार हुई है.  जिला अस्पताल में मुक्ति वाहन होने के बावजूद ग्रामीणों को ट्रेक्टर से शव को ले जाना पड़ा. पूरे मामले को अस्पताल प्रशासन जांच के नाम पर लीपा-पोती करने में जुट गया है.

सूरजपुर के सलका गांव के राम साय की है,जिसने अज्ञात करने से कल फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी,आज सुबह जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद डॉक्टरों ने शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया. लेकिन जब परिजनों ने डॉक्टर से शव ले जाने के लिए शव वाहन की मांग की. तब डॉक्टरों ने यह कहकर मना कर दिया कि अस्पताल का शव वाहन खराब है. तब मजबूरन ग्रामीणों को ट्रेक्टर में लादकर 20 किलोमीटर दूर ग्राम सलका ले जाना पड़ा.

इस घटना के बाद सम्बंधित अधिकारी गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं. जिला स्वास्थ अधिकारी को मीडिया से इस घटना की जानकारी मिली. जिसके बाद अब वे जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं. लेकिन सवाल यह कि जिला अस्पताल में 100 से ज्यादा का स्टाफ मौजूद होने के बावजूद घटना के चार घंटे के बाद भी स्वास्थ अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी गई. पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टर ने इस बात से इंकार किया है कि उनसे मृतक के परिजनों के द्वारा मुक्ति वाहन की मांग की गई थी.