Seabed Exploration. भारत पनडुब्बियों और एक विशेष जहाज का उपयोग करके हिंद महासागर में खनिज भंडार का पता लगाने की योजना बना रहा है. भविष्य में अपार संभावनाओं वाले इस समुद्री मिशन के तहत भारत के प्रमुख समुद्री अध्ययन संस्थान ने समुद्री सर्वेक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की है. जिस कंपनी को टेंडर मिलेगा वह समुद्र की सतह के पास विशाल सल्फाइड भंडार वाले क्षेत्रों का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण करेगी.

एक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, ठेका आवंटित होने के बाद दिसंबर महीने से सर्वे का काम शुरू हो सकता है. इससे भारतीय शोधकर्ताओं को समुद्री क्षेत्रों की विभिन्न भौगोलिक और भूवैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर विशेष मानचित्र बनाने में मदद मिलेगी। इससे खनिज भंडार या सल्फाइड अयस्क क्षेत्रों की दीर्घकालिक खोज में सुविधा होगी.

डॉ. थंबन मेलोथ राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान संस्थान (एनसीपीओआर), गोवा के निदेशक हैं. उन्होंने न्यूज18 से कहा, ‘यह तो सिर्फ शुरुआत है. इससे हमें भविष्य के बाथिमेट्रिक सर्वेक्षणों और भूवैज्ञानिक गतिविधियों के लिए संभावित स्थानों की पहचान करने की अनुमति मिलेगी. हम समुद्र की गहराई में 3,000 से 6,000 मीटर के बीच सीमित सर्वेक्षण करेंगे.

खोज अभियान से वैज्ञानिकों को मिलेगी बड़ी मदद

मुख्य जहाज से जुड़ी समुद्री स्वचालित पनडुब्बियां (एयूवी) 15 स्थानों से उच्च स्तरीय भूवैज्ञानिक तस्वीरें एकत्र करेंगी, जिनकी विस्तार से जांच की जाएगी. एनसीपीओआर ने एक विशेषज्ञ जहाज की भी पहचान की है, जिसमें सभी वैज्ञानिक सुविधाएं शामिल हैं.

जहाज में समुद्री संचालन, सर्वेक्षण और डेटा प्रोसेसिंग में कुशल पर्याप्त अनुभवी चालक दल होगा. डॉ. मेलोथ ने कहा, ‘हम इन खनिज संसाधनों के 3डी मॉडल बनाने के लिए अधिक से अधिक शोध करना चाहेंगे. जब हमें आवश्यक डेटा मिल जाएगा, तब हम उसका नमूना लेने के बारे में सोच सकते हैं. यह एक कठिन यात्रा होगी.

समुद्र में खनिज का भंडार

भारत ने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी से हिंद महासागर के 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड (पीएमएस) के खनन अधिकार सुरक्षित कर लिए हैं. ये पॉलीमेटेलिक सल्फाइड (पीएमएस) समुद्र की सतह के पास जमा होते हैं.

इनमें लोहा, तांबा और जस्ता के साथ-साथ सोना, चांदी, पैलेडियम और प्लैटिनम जैसी कीमती धातुएं शामिल हैं. ये बड़े खनिज भंडार आर्थिक और सामरिक दोनों ही दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसी वजह से दुनिया भर के देश इसकी खोज में लगे हुए हैं.

सर्वे का काम दिसंबर से हो सकता है शुरू

परियोजना का लक्ष्य भारत के अधिकार क्षेत्र के तहत अनुसंधान क्षेत्रों में इन संसाधनों का पता लगाना है. ये क्षेत्र हिंद महासागर में मध्य भारतीय कटक के दक्षिणी भाग और दक्षिण-पश्चिम भारतीय कटक के पूर्वी भाग में हैं. टेंडर के लिए बोलियां 17 जुलाई से शुरू हो सकती हैं, जो 28 अगस्त तक स्वीकार की जाएंगी. टेंडर जारी होने के बाद दिसंबर की शुरुआत से सर्वे का काम शुरू होने की संभावना है.