संदीप ठाकुर, लोरमी. बालिकाओं को रातभर छात्रावास से बाहर रखने के मामले में एक बार फिर lalluram.com की खबर का बड़ा असर हुआ है. मामले में आदिवासी विकास के सहायक आयुक्त ने छात्रावास प्राचार्य, अधीक्षक और छात्रावास अधीक्षिका को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

दरअसल, मामला जिले के बंधवा में संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालय का है. जहां रविवार को विद्यालय के प्राचार्य 6 छात्राओं को मेला घुमाने लोरमी ले गए थे. जिसमें से 4 छात्रों को हॉस्टल से बाहर ले जाने के लिए अनुमति भी नहीं ली गई थी. जिसके चलते बालिका छात्रावास की छात्राएं रातभर छात्रावास से नदारद रहीं. दूसरे दिन सोमवार को तड़के सुबह प्राचार्य छात्रों को जब छात्रावास लेकर पहुंचे तो हॉस्टल अधीक्षिका ने इन छात्रों को अंदर प्रवेश देने से ही मना कर दिया. जिसके बाद घंटों बवाल कटने के बाद छात्रों को प्रवेश मिला.

एकलव्य आवासीय विद्यालय के प्राचार्य और बालिका छात्रावास की अधीक्षिका के बीच इस विवाद से उपजे पूरे प्रकरण को lalluram.com ने प्रमुखता से उठाया था. जिसके बाद एकलव्य आवासीय विद्यालय में पढ़ाई करने वाले करीब 360 बच्चों ने छात्रावास की अधीक्षिका-अधीक्षक को हटाने की मांग को लेकर 5 घंटे तक मंगलवार को धरना प्रदर्शन किया. वहीं बच्चों के अभिभावकों के द्वारा भी नाराजगी जाहीर की गई थी. आंदोलन कर रहे छात्र-छात्राओं ने विद्यालय के बालक छात्रावास अधीक्षक की मनमानी और हॉस्टल में अव्यवस्था को लेकर मोर्चा खोल दिया. जिसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर छात्रों को दोषियों पर कार्रवाई का आश्वसन देते हुए मामला शांत कराया. वहीं इस पूरे घटनाक्रम को कलेक्टर राहुल देव ने गंभीरता से लिया है. जिस पर मुंगेली आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त एल. आर. कुर्रे ने बालिका छात्रावास के अधीक्षक अश्वनी बंजारे बालिका छात्रावास की अधीक्षिका रीता डिंडोरे समेत एकलव्य आवासीय विद्यालय के प्राचार्य पीडी ध्रुव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. जिसमें 3 दिन के भीतर संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं मिलने की स्थिति में कड़ी कार्रवाई करने की बात कही गई है.

छोटे पर कार्रवाई बड़ों पर कब ?

इस गंभीर मामले पर अभी तक छात्रावास अधीक्षक, अधीक्षिका और प्राचार्य पर कार्रवाई होते दिख रही है. फिलहाल अभी नोटिस जारी किया गया है, आगे भी एक्शन बाकी है. जिस तरह से यह गंभीर मामला सामने आया है, उससे विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर सवाल तो उठ ही रहे हैं, साथ ही छात्रावास और विद्यालय के मॉनिटरिंग की भी पोल खुल गई है. सवाल ये भी उठ रहा है कि अधीक्षिका और प्राचार्य के बीच विवाद की स्थिति महीनों से है. जिसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों तक भी जा चुकी है. ऐसे में इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिकायतों का निराकरण समय पर क्यों नहीं किया गया ?