बालकृष्ण अग्रवाल,गौरेला। अमरकंटक और उसके आसपास के क्षेत्रों का विकास और संरक्षण अब विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानि कि साडा के हवाले होगा। छत्तीसगढ़ की सीमा में बसे 4 गांवों के क्षेत्र अब स्मोकलेस और नो पाॅलिथिन जोन होंगे, वहीं यहां विकासकार्य से लेकर उत्खनन और यहां तक कि खेती किसानी के लिये भी प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी। इसे देखते हुए कलेक्टर बिलासपुर ने ये आदेश दिया है. 

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में फैले हुए अमरकंटक क्षेत्र के आसपास पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए एनजीटी के आदेश पर छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्र के एकीकृत विकास के लिए निर्णय लिया गया है। अमरकंटक पठार का विस्तार मध्यप्रदेश में लगभग 8 हजार हेक्टेयर एवं छत्तीसगढ़ में लगभग 4 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है। जिसमें से जिले के गौरेला विकासखण्ड के ग्राम ठाड़पथरा, तवाडबरा, चुक्तीपानी और आमानाला गांवों में फैले हुए लगभग 1522 हेक्टेयर क्षेत्र में सीवरेज नेटवर्क की स्थापना, एसटीपी, वृक्षारोपण, एलपीजी को बढ़ावा, वाटर शेड का विकास तथा पाॅलीथीन बैग पर प्रतिबंध आदि विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित किया जाना आवश्यक है। जिससे क्षेत्र का पर्यावरण संरक्षित किया जा सके।

इसके लिये बिलासपुर कलेक्टर की अध्यक्षता में हुयी बैठक में प्राधिकरण के लिए सेटअप एवं बजट के प्रस्ताव भेजने की जानकारी दी गई। साथ ही क्षेत्र में पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए बाॅयो गैस का प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई गई है। इस क्षेत्र में वन, कृषि, खनिज आदि विभागों द्वारा जो भी कार्य किये जायेंगे, उसके लिए प्राधिकरण की अनुमति लेना आवश्यक होगा। इस क्षेत्र में जो भी विकास कार्य होंगे, वह साडा के नियंत्रण में रहेगा।

सेटअप के अनुसार प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नियुक्ति की जायेगी, जिसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। साडा क्षेत्र में वाटर शेड और सड़क निर्माण के लिए योजना बनाये जाने के साथ ही सभी विभागों को भी साडा क्षेत्र के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है.