फीचर स्टोरी । छत्तीसगढ़ म हम नवा छत्तीसगढ़ गढ़े म लगे हन. हम पुरखा मन के सपना के छत्तीसगढ़ गढ़े म लगे हन. हम अइसे छत्तीसगढ़ ल गढ़े म लगे हन, जेन गांधी के सुराज ल लाने के काम करत हे. हम अइसे छत्तीसगढ़ ल गढ़े मन लगे हन, जिहाँ भगवान राम कखरो बर राजनीति के नइ, बल्कि संस्कृति के प्रतीक हे. ये कहना मुख्यमंतरी भूपेश बघेल के. मुख्यमंतरी भूपेश बघेल जिहाँ भी कोनो भी धारमिक आयोजन म जाथे, जिहाँ कहूँ भी छत्तीसगढ़ के संस्कृति के ऊपर गोठियाथे, उहाँ इही सब बात ल दोहराथे कि राम तो छत्तीसगढ़ के पग-पग म बसे हे, राम छत्तीसगढ़िया मन के रग-रग म बसे. हम तीज-तिहार, संस्कृति-परंपरा म, हर अवसर म राम समाहित हे. हमन तो भगवान राम ल भाँचा मानथन या ये भी कहि सकत हव कि भाँचा ल हमन भगवान राम असन मानथन. हमर इहाँ तो जनम घलोक राम, मरन म घलोक राम हे, हमर इहाँ तो सब धरम-करम म राम हे. हमर तो एक-दूसर घलोक मिले-जुले के बेरा घलोक राम-राम ही कहिथन. सिवरीनरायन के धाम घलोक उन इही सब बात ल मानस महायग्य के मंच ले कहिन.

 

दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी इन बातों से यह बताना चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ में गांधी और भगवान राम के राज वाले राज्य का अर्थ है क्या. वे कहते हैं छत्तीसगढ़ की पावन भूमि, तपो भूमि है. यहा मेहनतकश और तपस्यियों की धरा है. इस धरा में को माता कौशल्या की जन्मभूमि कहा जाता है. यह भगवान राम का ननिहाल है. भगवान राम ने अपने वनवास का सबसे लंबा समय इसी छत्तीसगढ़ में बीताया था. इसी छत्तीसगढ़ में लव-कुश का भी जन्म हुआ है. इसी छत्तीसगढ़ में सप्तऋषियों ने तप किया है. और इसी छत्तीसगढ़ में जन्मे पं. सुंदरलाल शुर्मा को गांधी ने अपना गुरु माना था. वे यह भी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में हमेशा करुणामय भगवान राम की पूजा करने की परंपरा रही है. हम उन्हें साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजते हैं. गोस्वामी तुलसी दास ने जहाँ उनके साकार स्वरूप को जन-जन तक पहुंचाया, वहीं संत कबीर ने राम के निर्गुण रूप की उपासना की. छत्तीसगढ़ का रामनामी समुदाय अपने शरीर पर राम नाम का गोदना अंकित करके उनके निर्गुण रूप की आराधना करता है. ऐसे छत्तीसगढ़ में अगर हम पुरखों के छत्तीसगढ़, गांधी के सुराज और भाँचा राम वाले राज की बात कह रहे हैं, तो यकीन मानिए कि गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारे को साकार कर रहे हैं.


माता शबरी और राम के मिलाप वाले धाम शिवरीनारायण में आयोजित मानस महायज्ञ के मंच से भूपेश बघेल ने बताया कि किस तरह से उनकी सरकार छत्तीसगढ़ में काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि गांधी का सुराज को राम राज कह सकते हैं. अर्थात जहाँ आपसी भाईचारा हो, समता हो, एकता हो, भयमुक्त समाज हो…ऐसा सबकुछ जहाँ कहीं हो, समझो वहीं राम राज हो.


उन्होंने कहा महात्मा गांधी के राम राज के सपने को साकार करने के लिए राज्य शासन ने सुराजी गांव योजना की शुरुआत की है. इसके तहत हम गाँवों को आर्थिक रूप में समपन्न बनाने का काम कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है और राज्य की 80 फीसदी आबादी गाँवों की है. ऐसे में हमारी पहली प्राथमिकता है कि गाँव की मूल-भूत समस्याओं को दूर करने के साथ आधुनिक तकनीकों के साथ ग्रामीण अर्थव्यस्था को परंपराओं के साथ मजबूत करे. इस दिशा में हमारी सरकार नरवा-गरवा-बारी-योजना चला रही है. इस योजना के तहत हमने तय किया है खेती, खेती में जैविक खेती और गौ-पालन को बढ़ावा देंगे. गाँव-गाँव में रोजगार के साधन पैदा करेंगे और पलायन को भी रोकेंगे. बीते 2 साल में मैं यह कह सकता हूँ कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है. इसका जीवंत प्रमाण कोरोना संकट में देखने को मिला. जहाँ देश में मंदी रहा वहाँ छत्तीसगढ़ की अर्थव्यस्था मजबूत रही.

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से असली गो-सेवा तो हमारी सरकार कर रही है. पूरी दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने किसानों से गोबर खरीदी की शुरुआत की है. उन्होंने कहा- हम किसानों से 2 रुपए किलो में गोबर खरीद कर उससे जैविक खाद तैयार कर रहे हैं, जिसका विक्रय 8 रुपए किलो की दर से किया जा रहा है. जब पशुपालकों को गोबर की भी कीमत मिलने लगेगी तब वह अपने हर पशु के चारे की चिंता करेगा, चाहे उनसे दूध न भी मिलता हो. वह अपने पशुओं को घर पर ही बांधकर रखना चाहेगा. गोबरों की खरीद राज्य के 3926 गोठानों के माध्यम से की जा रही है, पूरे प्रदेश में 6430 से अधिक गोठानों का निर्माण किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ किसानों का प्रदेश है, इसीलिए कोरोनाकाल की आर्थिक चुनौतियों के बावजूद यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसानों को उनकी उपज की सही कीमत मिले. हमने किसानों से 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी का वादा किया था, सरकार बनने के बाद हमने उसे पूरा किया. हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की, जिसके माध्यम से 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से किसानों को 5750 करोड़ रूपए आदान सहायता राशि उपलब्ध कराई जा रही है. तीन किश्तों में 4500 करोड़ रूपए की राशि से अधिक किसानों के खातों में अंतरित की जा चुकी हैं, चौथी किश्त भी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि पहले राज्य में किसानों की संख्या में गिरावट आ रही थी. खेती का रकबा भी तेजी से सिमटता जा रहा था. पहले जहां 12-15 लाख किसान ही धान बेचने के लिए पंजीयन कराते थे, वहीं इस साल छत्तीसगढ़ के साढ़े 21 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है. हमारे कार्यकाल में किसानों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है और खेती का रकबा भी बढ़ा है, जो लोग अपने खेत रेग (ठेके) पर दिया करते थे, उन लोगों ने भी स्वयं खेती करनी शुरू कर दी है, क्योंकि अब उन्हें फसल का अच्छा पैसा मिलने लगा है.

गांधी का सुराज

नरवा- नरवा के तहत छत्तीसगढ़ के छोटे-बड़े नालों का संरक्षण और पुनर्जीवन का काम चल रहा है. तालाबों और नदियों का संरक्षण और संवर्धन का काम चल रहा है. गाँवों में जल संचय और सिंचाई योजनाओं पर इसके तहत जोर दिया जा रहा.

गरवा-  गरवा के तहत गाँव-गाँव में गौठानों का निर्माण कर गायों के लिए पानी और चारा सहित छाया की व्यवस्था की जा रही है. गौठानों में गोबर-केंचुआ खाद बनाने के साथ सब्जी और चारे की खेती भी की जा रही है.

घुरवा- घुरवा के तहत लोगों को जैविक खाद की ओर प्रेरित किया जा रहा है. गौठान में तो जैविक खाद तैयार किया जा रहा है. ग्रामीण जन-जीवन के दैनिक निर्वहन में शामिल घुरवा को फिर जीवित कर उससे बनने वाले खादों का इस्तेमाल खेती में करने पर जोर दिया जा रहा है.

बारी- बारी के तहत गौठान-घुरवा से निकलने वाले जैविक खाद से सब्जी, फल की खेती कर स्वयं के लिए खाद्यन्न सामग्री उत्पन्न करने के साथ विक्रय हेतु भी पैदावर करने पर जोर दिया जा रहा है. वह भी पूरी तरह से केमिकल रहित.

वहीं मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के गौ-पालन को बढ़ावा देने, गोबर की खरीदी कर गौपालकों को अतिरिक्त लाभ पहुँचाने, किसानों से 25 सौ रुपये में धान खरीद कर उन्हें फसल का वाजिब मूल्य देने का भी काम किया है. यह सारी कवायद गाँव, ग्रामीण, किसान को आर्थिक रूप में सशक्त करना है.

वहीं इन योजनाओं से एक बड़ा स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को बड़े पैमाने पर हो रहा है, जो कि आज गोबर से दीए निर्माण, खाद निर्माण, साबुन, अगरबत्ती सहित अनेक तरह के उत्पादों को निर्माण कर स्वालंबी बन रही हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना सही मायने में वर्तमान में यही गांधी का सुराज है. महात्मा गांधी गाँवों को उन्नत बनाकर, ग्रमीणों, किसानों, महिलाओं को आर्थिक रूप में संपन्न बनाकर, गाँव में ग्रामीण परंपरा अनुसार रोजगार पैदा कर देश को तरक्की की राह में आगे ले जाने के बारे में सोचते रहे हैं. गांधी का मॉडल आत्मनिर्भर गाँव का मॉडल था. हमारे पुरखों ने भी इसी तरह के छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना की थी. जिसे साकार करने का काम हम कर रहे हैं. असल में यह वर्तमान में राम राज्य है. इसे आप भाँचा राम का भी राज कह सकते हैं, जिसे सँवराने का काम जारी है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवरीनारायण वह स्थान है, जहां वनवास काल के दौरान भगवान राम का आगमन हुआ था और माता शबरी का जन्म हुआ था. कोरिया से लेकर बस्तर तक श्री राम के वन गमन मार्ग पर ऐसे अनेक स्थान हैं, जहां उन्होंने प्रवास किया था। इनमें से 9 स्थानों को चिन्हित कर उन्हें पर्यटक केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है. उन्होंने कहा शासन ने राम वन गमन पथ पर्यटन सर्किट की जो योजना तैयार की है, यह उसके पहले चरण का काम है. अगले चरण में और भी स्थानों को इसमें शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शिवरीनारायण और पूरा छत्तीसगढ़ वह स्थान है जिसने हर युग में भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया है. त्रेता युग में यहां राम का आगमन हुआ, वहीं द्वापर में रायपुर के निकट आरंग में भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन के साथ आए थे. यहां बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव रहा। बुद्ध के बाद सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध संत नागर्जुन ने यहीं के सिरपुर में तपस्या की. नालंदा के बाद भारत का सबसे बड़ा प्राचीन शिक्षा केंद्र सिरपुर में ही था.

छत्तीसगढ़ गो सेवा आयोग के अध्यक्ष और शिवरीनारायण मठ के महंत रामसुंदर दास की मांग पर मुख्यमंत्री ने शिवरीनारायण में 30 बिस्तर अस्पताल शुरू करने तथा तीन दिवसीय मानस गान महोत्सव के आयोजन की घोषणा की.

रामायणकालीन नगरी शिवरीनारायण का होगा विकास

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शिवरीनारायण में राम वनगमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत लगभग 36 करोड़ रुपये के प्रस्तावित कार्यों के मॉडल का अवलोकन किया. मुख्यमंत्री ने मेला मैदान में भगवान राम, लक्ष्मण और माता शबरी की प्रतिमा का अनावरण भी किया.

बता दें कि राम वनगमन पर्यटन परिपथ के महत्वपूर्ण पड़ाव और महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम पर स्थित शिवरीनारायण में रामायण की थीम के अनुरूप विभिन्न विकास कार्य आकार ले रहे हैं. इनमें प्रमुख रूप से महानदी मोड़ पर 44 फीट ऊंचा विशाल प्रवेश द्वार और इसके समीप 32 फीट ऊंची भगवान श्रीराम सहित लक्ष्मण और माता शबरी की मूर्ति का निर्माण किया जायेगा. शिवरीनारायण में माता शबरी की भक्ति एवं वात्सल्य के प्रतीक जूठे बेर खिलाने के प्रसंग को उद्धरित करते हुए नदीतट घाट एरिया का सुंदरीकरण के अंतर्गत 14 व्यू पॉइंट का निर्माण, आरती पूजन जन सुविधा के रूप में, फूड प्लाजा, मेला ग्राउंड के पास कैफेटेरिया, पर्यटन सूचना केंद्र, पार्किंग एरिया का निर्माण, थ्री डी मॉडल, वाक थू्र के प्रस्तावित प्रारूप का अवलोकन किया. उल्लेखनीय है कि राम वनगमन पर्यटन परिपथ राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. छत्तीसगढ़ वासियों के लिए भगवान केवल आस्था ही नहीं बल्कि भांजे के रूप में भी पूजनीय हैं. पर्यटन परिपथ में कोरिया से लेकर सुकमा तक लगभग 1440 किलोमीटर के पथ में 75 स्थलों का चिन्हांकन किया गया है. इनमें से प्रथम चरण में 9 स्थलों के विकास का बीड़ा राज्य सरकार ने उठाया है। इनमें सीतामणी हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंदखुरी, राजिम, सिहावा, जगदलपुर और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं.