फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. अपनी तकदीर खुद बदल रही हैं. सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रही हैं. महिलाएं खेती किसानी से लखपति बन रही हैं. उनकी सफलता को देखने खेतों में लोगों की भीड़ आती है. अब कृषि के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं आगे आ रही हैं. सफलता की नई इबारत लिख रही हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है कि छत्तीसगढ़ के कोरिया और कांकेर की महिलाओं की कहानी, जिन्होंने हार नहीं मानी और कृषि के जरिए अपना मुकाम हासिल किया. खुद के सात-साथ परिवार की भी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया.

कोरिया में बरबटी-तोरई-लौकी विक्रय से लखपति बना समूह

शासन की नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना से ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन करने वालों को अच्छा लाभ हो रहा है. योजनांतर्गत बाड़ी विकास कार्यक्रम ने कोरिया जिले के किसानों सहित स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर करने में महती भूमिका निभाई है. विकासखण्ड भरतपुर के कासीटोला गौठान की लक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाएं बाड़ी विकास कार्यक्रम से जुड़कर सप्ताह में 5 से 6 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी कमा रहीं हैं, जिससे अब तक उन्हें कुल 1 लाख रुपए तक की आय हुई है.

समूह की अध्यक्ष बाबी यादव बताती हैं कि पहले समूह की महिलाएं घरेलु आवश्यकता के अनुसार सब्जियों का उत्पादन करतीं थीं, लेकिन जब से हमें शासन की बाड़ी विकास कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली हमने मिलकर गौठान में सब्जी उत्पादन को आर्थिक गतिविधी के रूप में चुना.

सचिव फुलमती यादव ने बताया कि जिला प्रशासन के मार्गदर्शन एवं उद्यानिकी विभाग के सहयोग से बाड़ी में एक एकड़ में ड्रीप इरिगेशन सिस्टम स्थापित किया गया, जिससे तकनीकी रूप से सब्जी उत्पादन किया जा रहा है. अभी बाड़ी में बरबटी, तोरई, लौकी लगाए गए हैं. महिलाओं द्वारा स्थानीय साप्ताहिक बाजारों के साथ ही बहरासी के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय और छात्रावास में भी विक्रय के लिए सब्जियां भेजी जा रहीं है. अतिरिक्त आर्थिक लाभ प्राप्त होने से समूह की महिलाएं आज बहुत खुश हैं.

उत्तर बस्तर कांकेर की श्यामा बनी लखपति

नरहरपुर विकासखण्ड के ग्राम बादल निवासी कृषक श्यामा बाई नेताम के पास 08 एकड़ जमीन है, जिसमें से 05 एकड़ में धान एवं अन्य फसल की खेती करती थी. शेष 03 एकड़ जमीन बंजर था. उस जमीन में उद्यानिकी फसल लगाने के बारे में योजना बनाई, जिसमें नलकूप, फेंसिंग एवं भूमि समतलीकरण कर उद्यान विभाग के अधिकारी से मिलकर उद्यानिकी फसलों की खेती के साथ-साथ विभाग में संचालित योजनाओं की जानकारी ली.

श्यामा बाई नेताम बताती है कि राज्य पोषित योजना वर्ष 2018-19 अंतर्गत आम विभागीय योजना के तहत रकबा 0.50 हेक्टयर में 50 कलमी आम के पौधों के विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में रोपण किए. इस योजना में उद्यान विभाग द्वारा 05 हजार 469 रूपये पांच वर्ष तक पौधों के खाद दवाई एवं रखरखाव हेतु अनुदान प्राप्त हुआ.

आम पौधों के बीच में खाली जगहों पर स्वयं के खर्च से नागपुर से कागजी नींबू के 150 पौधे खरीद कर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के तकनीकी मार्गदर्शन में रोपण किए. वर्ष 2022 -23 में आम के पौधों में फलन आना शुरू हुआ, जिसमें प्रथम फलन में ही 02 हजार किलोग्राम को धमतरी के मंडी में विक्रय किये, जिससे 75 हजार रुपये प्राप्त हुआ.

उद्यानिकी विभाग में संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना वर्ष 2021-22 में केला क्षेत्र विस्तार योजना रायपुर से 1800 नग टिशू कल्चर केला पौधे का 2-2 मीटर के अंतराल में रोपण किया, जिसमें विभाग के तरफ से 18 हजार 750 रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ.

केले की फसल में समय-समय पर खाद दवाई डालने के लिए उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा बारीकी से बताया गया. केला की प्रथम कटाई से 01 लाख 50 हजार रुपये प्राप्त हुए. केला फल को धमतरी मंडी एवं स्थानीय बाजारों में विक्रय किया गया.

वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत हल्दी, अदरक क्षेत्र विस्तार में विभाग द्वारा लाभान्वित किए, जिसमें कृषक को 01 लाख 20 हजार रुपये अनुदान प्राप्त हुआ. हल्दी एवं अदरक की खुदाई कृषक द्वारा मार्च महीने में किया जाकर 80 हजार रुपये विक्रय कर आमदनी प्राप्त किया इस प्रकार उद्यानिकी विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में एवं अनुदान के तहत लाभ लेकर अनुपयोगी जमीन में 03 लाख 5000 रुपये की आमदनी प्राप्त हुआ, जिससे कृषक की आर्थिक विकास के साथ स्थानीय लोगों को साल भर रोजगार भी मिला.

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