नितिन नामदेव, रायपुर। विश्व हिन्दू परिषद के आह्वान पर प्रदेश बंद को लेकर छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स में फूट देखने को मिली. एक तरफ एक गुट ने जहां व्यापारियों को पत्र लिखकर बंद का समर्थन देने की बात कही है, वहीं दूसरे गुट ने नियमों का हवाला देते हुए समर्थन को लेकर अनिर्णय की स्थिति बताई है.

चेंबर के महामंत्री अजय भसीन ने दुर्ग और भिलाई के व्यापारियों को एक पत्र लिखकर कहा है कि वे बंद का समर्थन करते हुए अपनी दुकानें बंद रखें, वहीं चेंबर के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी और अन्य पदाधिकारियों ने कल फैसला किया था कि चेंबर ऑफ कॉमर्स प्रदेश बंद कराने को लेकर अनिर्णय की स्थिति में है. उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि किसी भी प्रदेश व्यापी बंद का समर्थन लेने के लिए चेंबर ऑफ कॉमर्स को 72 घंटे पहले सूचित करना चाहिए, जिससे सर्वसम्मत फैसला लिया जा सके.

छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा नेता श्रीचंद सुंदरानी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कोई भी घटना बताकर नहीं आती है. अगर किसी की हत्या हुई है, और हिंदू समाज उससे आहत है, तो बंद का समर्थन करना था. उन्होंने कहा कि इसके लिए 72 घंटे पहले सूचना देने का हवाला देना यह दर्शाता है कि चेंबर सरकार के दबाव में है. उसे हिन्दू समाज की भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दबाव में फैसला कर रहे हैं.

सुंदरानी ने कहा कि जब वे प्रदेश अध्यक्ष थे, और प्रदेश में भाजपा की सरकार थी तो तीन मौके ऐसे आए थे, जब मात्र 12 घंटे के अंदर ही चेंबर ने प्रदेशवापी बंद का फैसला किया था. छत्री हत्यकांड का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें किसी ने समर्थन भी नहीं मांगा था. फिर भी हमने 3 घंटे के अंदर फैसला करते हुए व्यापारियों के हित में प्रदेश बंद कराया था.

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