वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। जिले में सत्र 2019-20 में स्वामी आत्मानंद के नाम पर तारबाहर, खपरगंज व मंगला में इंग्लिश मीडियम स्कूल की शुरुआत हुई थी, लेकिन अधिकारियों की मनमानी ने मुख्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को विवादों में ला खड़ा किया है. फर्नीचर खरीदी, प्रतिनियुक्ति पर शिक्षकों की नियुक्ति जैसे मामलों को लेकर विभाग सवालों के घेरे में है.

बिलासपुर संचालित स्वामी आत्मानन्द आँग्ल माध्यम विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जबकि शासन का निर्देश है कि स्वामी आत्मानन्द आँग्ल माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती जिले स्तर पर उसी जिले के आँग्ल माध्यम के अध्यापन में निपुण अनुभवी व वरिष्ठ शिक्षकों की नियुक्ति करना था. प्रतिनियुक्ति पर शिक्षक उपलब्ध न हो तो संविदा आधार पर नियुक्ति दिया जाना था. इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि बिलासपुर में प्रतिनियुक्ति हेतु योग्य शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण सरगुजा व बस्तर से शिक्षक की नियुक्ति की गई है. हालांकि, इसकी शिकायत के बाद अब जांच की जा रही है.

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इसी तरह कोरोना काल मे स्कूल बंद रहने के बाद भी विद्यर्थियों को निजी स्कूलों की भांति सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर DMF (डिस्ट्रिक मॉनिटरिंग फण्ड) से 17 करोड़ जारी कर नोडल अधिकारी के माध्यम से निर्माण कार्य व खरीदी बिक्री की गई. आरोप है कि इसमें शासकीय नियमों की अनदेखी कर करोड़ों रुपए का अनिमितता की गई है. प्रयोगशाला सामग्री व कंप्यूटर उपकरण की खरीदी में गुणवत्ता विहीन सामग्री का क्रय कर भारी मात्रा में कमीशनखोरी का काम हुआ है. स्वामी आत्मानन्द आँग्ल माध्यम स्कूल के निर्माण कार्य व अन्य संसाधनों की खरीदी बिक्री की निष्पक्ष जांच की मांग की गई है.

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