रायपुर। मात्र 15 प्रतिशत सुनने की क्षमता के साथ बड़ी हो रही तीशा ने जन्म के 5 साल बाद जब पहली बार मां कहा, तो माता-पिता की आंखें खुशियां से छलक उठीं. उनके लिए यह एक चमत्कार ही था, जो शासन की कोशिशें से ही संभव हो पाया. तीशा को बोलते देखकर करीब गांव में रहने वाले मूकबधिर पंकज के पिता जितेन्द्र कुमार कन्नोजे के मन में भी आस जागी. पंकज को भी शासन की मदद मिली और उसने 7 साल में पहली बार आवाज सुनी.

बालोद जिले के डौंडी लोहारा क्षेत्र की पांच साल की तीशा कोमा और सात साल का पंकज कन्नौजे बचपन से सुन-बोल नहीं सकते थे. क्षेत्र के समाज सेविका नीलिमा श्याम को तीशा की जानकारी मिलने पर वह गुजरा गांव के रहने वाले तीशा की मां प्यारी बाई और पिता भेलसिंह कोमा को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया से मिलने पहुंची.

मंत्री भेड़िया ने संवेदनशीलता के साथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में उसके इलाज की व्यवस्था करवाई. जांच से बता चला कि तीशा के कानों में 85 प्रतिशत सुनने की क्षमता नहीं है. तीशा को हॉस्पिटल से सुनने वाली मशीन कानों में लगाई गई. कान में मशीन लगाने से धीरे-धीरे तीशा आवाज सुनकर प्रतिक्रिया देने लगी और इलाज के तीन माह के अंदर ही बोलने लगी.

तीशा की मां ने बताया कि तीन-चार साल की होने पर भी तीशा बोलती नहीं थी न ही आवाज के प्रति कोई प्रतिक्रिया देती थी. इससे वे चिन्तित रहते थे. रोजी-मजदूरी के कारण आय सीमित होने से वे महंगा इलाज भी नहीं करा सकते थे, ऐसे में सरकारी मदद उनके बच्चे के लिए वरदान बनकर सामने आई. राज्य सरकार का आभार जताते हुए खुश होकर उन्होंने बताया कि तीशा अब मां-पापा, गिनती, अनार, आम बोलने के साथ अक्षर भी बताने लगी है.

तीशा की तरह जितेन्द्र कुमार ने भी नीलिमा के साथ मंत्री भेड़िया से मिलकर अपनी परेशानी बताई. भेड़िया ने पंकज के इलाज की भी व्यवस्था मेकाहारा में करवाई. जांच से पता चला कि पंकज को बहुत कम सुनाई देता है और उसे लम्बे स्पीच थैरेपी की जरूरत है. भेड़िया के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग द्वारा दोनों बच्चों को हियरिंग डिवाइस दी गई.

श्रीमती भेड़िया ने अपने हाथों से बच्चों को चॉकलेट, मिठाई और बिस्कुट दिया, जिससे बच्चों के चेहरे पर खुशी आ आई. भेंड़िया के निवास पर ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीचथैरेपिस्ट देव मिश्रा ने जब पंकज को हियरिंग डिवाइस लगाया और उसने जीवन में पहली बार आवाज सुनी तो उसके माता-पिता भी पंकज के भविष्य को लेकर आशान्वित हो उठे हैं.

तीशा और पंकज के माता-पिता की सहमति पर मंत्री भेड़िया ने समाज कल्याण विभाग के संस्थान में बच्चों के इलाज, स्पीच थैरेपी, रहने, खाने और पढ़ाई की व्यवस्था कर दी है. भेड़िया ने कहा कि सही इलाज और पढ़ाई-लिखाई से बच्चे भविष्य में किसी के आश्रित नहीं रहेंगे. खुद अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे. भेंड़िया द्वारा संवेदनशीलता के साथ ईलाज और अन्य व्यवस्थाओं के लिए तीशा और पंकज के माता-पिता ने उनका आभार व्यक्त किया है.

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