कंचन ज्वाला कुंदन. रायपुर. वैलेंटाइन डे पर इससे अच्छी स्टोरी और क्या हो सकती है. इस कहानी में संघर्ष, कुर्बानी, कड़ी मेहनत, बेइंतहा प्यार सब कुछ है. सब कुछ तो है मगर सब कुछ सिर्फ प्यार के लिए है. यही इस कहानी की केंद्र बिंदु है. मोहब्बत की यह मिसाल सालों पहले बीती दास्ताँ के बाद भी जीवंत है, ज्वलंत है, जिंदादिल है, आज पर्यंत रूहानी वजूद है. अब सुनिए प्यार की इबारत जिसे एक नक्सली ने जंगल में भटकते अपनी बंदूक से लिखी है.

एक वह दौर था जब नक्सली कमांडर गोविंद हाथों में बंदूक थामे जंगलों में भटकता था. उस दौर में पुलिस और ग्रामीणों के जुबां पर गोविंद का नाम बड़े खौफ से लिया जाता था. अब उसी गोविंद का नाम हर कोई बड़े प्यार से लेते हैं. दरअसल जंगलों में भटकते नक्सली कमांडर गोविंद को एक दिन बेहद खुबसूरत लड़की रमोली से प्यार हो गया. नक्सली गोविंद ने हाथों में बंदूक लिए  फ़िल्मी अंदाज में रमोली से मोहब्बत का इजहार कर दिया.

रमोली ने प्यार को स्वीकार करने गोविंद के सामने हथियार छोड़ने की शर्त रख दी. रमोली के मोहब्बत में विस्मोहित गोविंद ने लाल आतंक छोड़ दिया. माओवाद का तिलिस्म टूटते ही गोविंद और रमोली ने धूमधाम से शादी कर ली. आज जिंदगी ऐसे बिताते हैं जैसे कि हर दिन वैलेंटाइन डे हो. गोविन्द की पत्नी रमोली कहती है कि हमारा प्यार कभी कम नहीं होगा. लोग तो एक दिन वेलेंटाईंन डे मनाते हैं. हमारे लिए पूरा साल वेलेंटाईंन डे जैसा है. वे आगे कहती है कि प्यार व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचाने की महत्वपूर्ण सीढ़ी है.

वैलेंटाइन डे पर अब आपको एक दूसरी कहानी भी बताते हैं. कोंडागांव जिले के एएसपी महेश्वर नाग और उसकी पत्नी सृष्टी की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. सृष्टि ने महेश्वर के सामने अफसर बनने की शर्त रख दी थी. अपने प्यार को पाने महेश्वर नाग ने कड़ी मेहनत की. जमकर पढ़ाई की. आज दोनों मिलकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं. दोनों का कहना है कि प्यार समर्पण मांगता है. शादी के पहले भी और शादी के बाद भी. दोनों का यह भी कहना है कि प्यार के रूप अनेकों हैं. माँ-बाप का प्यार, भाई-बहन का प्यार, प्रेमी-प्रेमिका का प्यार हर प्यार में डूबकर जीना चाहिए. दोनों ने आगे कहा कि जहाँ से मिले प्यार बटोरते चलें. जहाँ जरुरत हो प्यार बांटते चलें.