नई दिल्ली। देश में कई जनप्रतिनिधियों पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं, लेकिन इन मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. आज एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई. बता दें कि सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगाने पर अभी विचार जारी है.

वहीं चुनाव आयोग ने सजा पाए हुए सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर उम्रभर के लिए प्रतिबंध लगाने की वकालत की है. दरअसल चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका पर हो रही सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग के जवाब पर कहा कि वाकई ये मामला गंभीर है और ऐसे केसेज की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दागी नेताओं के केस की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनना चाहिए.

केंद्र सरकार ने कहा कि वे स्पेशल कोर्ट बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन ये राज्यों का मामला है. इस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इसमें कितना वक्त और फंड लगेगा, ये 6 हफ्तों में बताएं. कोर्ट ने सेंट्रल स्कीम के तहत स्पेशल कोर्ट बनाने की बात कही. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई और कहा एक तरफ तो सरकार कहती है कि वो स्पेशल कोर्ट बनाना चाहती है, इसके बाद ये भी कह रही है कि ये राज्य का मामला है.

मामले की अगली सुनवाई अब 31 दिसंबर को होगी.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछे तीखे सवाल

2014 लोकसभा चुनाव के दौरान 1 हजार 581 प्रत्याशियों के खिलाफ चल रहे आपराधिक केसेज का क्या हुआ. इनमें से कितने मामलों में सजा हुई, कितने लंबित हैं.

उच्चतम न्यायालय में दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को सजा पूरी होने के बाद 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बनाने वाले जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान को असंवैधानिक करार देने के लिए वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई की गई.