शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश के 2023 विधानसभा चुनाव में ‘तीसरे मोर्चे’ की एंट्री होगी. एमपी में अगल-अलग जातियों का ‘महागठबंधन’ बनेगा. जिससे बीजेपी-कांग्रेस दोनों की सियासी टेंशन बढ़ेगी. आदिवासी संगठन ‘जयस’ को माझी समाज का साथ मिला है. प्रदेश की 150 सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया है. मांझी, मछुआ, मल्लाह, केवट, रैकवार समाज को एक मंच पर लाने की तैयारी है. इसके साथ ही ओबीसी संगठनों को भी साथ में लाने की तैयारी जयस कर रही है. अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है.

आदिवासी-ओबीसी और छोटी जातियां साथ-साथ!

जयस के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल अलावा का कहना है कि 10 दिसंबर को एक और बड़ी बैठक बुलाई गई है. ओबीसी संगठनों के साथ जयस की बैठक होगी. इस बैठक में ओबीसी नेता प्रीतम लोधी शामिल होंगे. चुनाव को लेकर सियासी रणनीति बनाई जाएगी.

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बीजेपी जब कमजोर होती है, तब यही हथकंडा अपनाती है- कांग्रेस

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि ओबीसी, मांझी, आदिवासी समाज समझदार हैं. बीजेपी ने सभी समाजों के साथ छल किया. वक्त आने पर ये सब कांग्रेस को मजबूत करेंगे, कमजोर नहीं. कांग्रेस इन संगठनों से बातचीत करेगी. कांग्रेसी सभी समाज का उत्थान कर सकती है. बीजेपी जब कमजोर होती है, तब यही हथकंडा अपनाती है.

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जयस आदिवासी संगठन कांग्रेस की B टीम- बीजेपी

बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने पलटवार करते हुए कहा कि आदिवासी समाज समझ गया है, उसका धर्मांतरण किया गया. मूलभूत सुविधाओं से दूर रखा गया. जयस किसी के साथ भी बैठक कर ले कुछ नहीं मिलने वाला है. कांग्रेस और जयस का जनता के सामने पर्दाफाश हो गया है. अब कोई भी समाज उनके चुंगल में नहीं फंसने वाला है.

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