रायपुर. परसा और केते एक्सटेंशन कोयला खदान के संचालन के संबंध में ग्रामीण एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने प्रदेश सरकार और वन विभाग का धन्यवाद किया है. इसे लेकर टीएस सिंहदेव ने एक ट्वीट कर सरकार का आभार जताया है. उन्होंने लिखा है कि-

खनन और हसदेव अरण्य को लेकर लोगों की भावनाओं पर ध्यान देने के लिए मैं सरकार और वन विभाग को धन्यवाद देता हूं.

मैं इस कदम का स्वागत करता हूं, जिसके लिए मैं हमेशा खड़ा रहा हूं यानी लोगों की इच्छा की सर्वोच्चता.

इसके अलावा मंत्री सिंहदेव ने ग्रामीणों के पत्र को साझा किया है. जिसमें ग्रामीणों ने वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त करने की मांग की थी. इसे लेकर सिंहदेव ने सचिव छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग को पत्र प्रेषित किया. जिसमें उन्होंने लिखा है कि-

‘सरपंच, जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ ग्रामीणजनों जिसमें उन्होंने अपनी मंशा एक लिखित ज्ञापन के माध्यम से मुझे उपलब करायी. उनका कथन था कि वर्तमान में संचालित पी.के.ई.बी खदान में यदि कार्य चालु किया जाता है तो गांव वालों की पूर्व सहमति वाले 45 हेक्टेयर क्षेत्र में उन्हें आपत्ति नहीं है बशर्ते नवीन खदानों में शासन द्वारा परसा और केते एक्सटेंशन के फारेस्ट क्लीयरेंस हेतु जनसुनवाई की कार्यवाही वापस ले जी जाती है.’

सिंहदेव अपने पत्र में आगे लिखते हैं कि- ‘उन्होंने स्पष्ट रूप से मुझे बताया कि अधिकांश ग्रामवासी पी.के.ई.बी. खदान में जहां लोगों का रोजगार, काम बंद होने से छीन गया है वहां मूलरूप से काम चलने पर आपत्ति नहीं है. आपत्ति परसा और केते के नई खदान के काम पर है. जहां पर 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावित गावों के नागरिक, पेड़ों की कटाई एवं नये कोयला खदान के उत्खन्न के विरोध में है. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि यदि नए खदानों में फारेस्ट क्लीयरेंस की कार्यवाही शासन वापस लेती है तो पांच महिने से अधिक समय से चल रहा हसदेव अरण्य क्षेत्र में पर्यावरण के असंतुलन से संबंधित आंदोलन भी समाप्त हो जाएगा.

उल्लेखनीय है कि, विधानसभा में भी इस संबंध में निर्णय हो चुका है। अतएव उचित कार्यवाही हेतु आपकी ओर प्रेषित.’