पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। देवभोग में हुए करप्शन कांड की फाइलें फिर खुलने लगी हैं. इस जिले के सफेद पन्नों में करप्शन के काले छाप हैं, जो अब फिर से उभरने लगे हैं. अब तो विधायक अमितेश शुक्ल करप्शन के खिलाफ एक्शन के मूड में हैं. उनके एक पत्र से फिर खलबली मच गई है. विधायक अमितेष शुक्ल ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है. विधायक ने कहा कि समय पर कार्रवाई नहीं हुई तो मामला सदन तक ले जाऊंगा.
दरअसल, कांग्रेस समर्थित देवभोग जनपद उपाध्यक्ष ने देवभोग जनपद में हुए गड़बड़ी की शिकायत 7 बिंदुओं में की थी. जांच दल ने 25 फरवरी से पहले ही जांच रिपोर्ट कलेक्क्तर को सौप दिया था. इस रिपोर्ट में 1 करोड़ 56 लाख की गड़बड़ी की पुष्टि हुई थी.
सीईओ समेत अन्य 4 कर्मियों के खिलाफ वसूली की अनुशंसा दल ने किया है. इसके अलावा रिपोर्ट में जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल पर पद के प्रभाव से पति के फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाने का जिक्र किया गया है.
यह भी लिखा गया है कि अध्यक्ष द्वारा पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 का उल्लंघन किया जाना पाया गया है. इस रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई अब तक नहीं बढ़ पाई है. बताया जा रहा है कि जांच में प्रभावित हो रहे लोग पहले तो भाजपा के नेताओं के पास अपने पाक साफ होने की दलील देकर कार्रवाई को प्रभावित करने की कोशिश की.
वहीं नाकाम होते देख फिर कांग्रेस नेताओं से सम्पर्क साध जांच को प्रभावित करने की कोशिश शुरू कर दी गई है. यह सब जिले के एक मात्र कांग्रेस विधायक अमितेष शुक्ल ने कलेक्टर को पत्र जारी कर जल्द कार्रवाई के निर्देश देने की मांग की है.
बता दें कि अमितेष शुक्ल जिले में सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो हर मंच पर करप्शन के खिलाफ खुल कर बोलते रहे हैं. योजनाओ में भारी गड़बड़ी करने वाले पूर्व कृषि उपसंचालक को निलम्बित करवा कर अपनी मंशा भी साफ कर दिए थे. शुक्ल ने देवभोग जनपद में उजागर मामले में दोषियों पर कार्रवाई चाहते हैं. पत्र में उन्होंने दो टूक लिखा है कि मामला ध्यानाकर्षण में लगाने की मांग हो रही है. ब्यक्तिगत रूचि लेकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि मामले में कलेक्टर प्रभात मलिक ने विधिवत कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है.
उपाध्यक्ष सुखचन्द बेसरा के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया. इस घटनाक्रम के बाद 4 मार्च को जनपद समिति की बैठक आहूत की गई थी. बेसरा ने इसी बैठक में घपले के 17 पन्नों की जांच रिपोर्ट को जनपद सदन में पढ़ कर सुनाया था. उसने बताया था कि 1 करोड़ 56 लाख की गड़बड़ी करने जनपद विकास निधि, स्टाम्प शुल्क, शिक्षा मद, सांसद मद के अलावा विवेकानंद योजना में 93 बार गड़बड़ियां की गई. जवाबदार शांत बैठे रहे. नाम लिए बगैर ही जनपद अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए मिलीभगत का भी आरोप लगाया.
बाबू बनाने जनपद मद से रिश्वत
बेसरा ने जांच प्रतिवेदन में उल्लेख स्टाम्प शुल्क मद से दो अस्थाई कर्मचारियों को किये गए 3 लाख 42 हजार के भुगतान पर सवाल उठाया. इस भुगतान को जांच दल ने नियम विरुद्ध तो बताया ही है, लेकिन इन कर्मियों ने प्राप्त सारे राशि को सीईओ और लिपिक के हाथों देना स्वीकार किया है.
आहरण के बाद पैसे दिए जाने की वजह को नियुक्ति के बदले रिश्वत की बात सामने आई है. बताना जरूरी है कि इनमें से एक लिपिक जब ऑपरेटर था, तब इसने एक आवास हितग्राही की रकम अपने परिवार के सदस्य के नाम ट्रांसफर कर लिया. मामले में बड़ी कार्रवाई के बजाए उसे घपलेबाजों ने नियम कायदों को ताक में रखकर लिपिक बना दिया. आज इस लिपिक के पास जनपद के कई महत्वपूर्ण विभाग है.
वाहन किराए में रखने निविदा नियम का पालन नहीं
जांच रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा निर्माण कार्य के निरीक्षण के लिए जिस स्कॉर्पियो क्रमांक सीजी 23 के 9990 को 34500 रुपये मासिक किराए पर लिया गया. वह जनपद अध्यक्ष के दुकान में कार्यरत कर्मचारी का है. मनरेगा साखा के अलावा जनपद में भी उपयोग बता कर भुगतान बताया गया. रिपोर्ट के मुताबिक वाहन लगाने निर्धारित निविदा नियम का पालन नहीं किया गया है.
एक ही दिन में 6 लाख का सेनेटाइजर
कोरोना काल मे प्रत्येक पंचायत लगभग 1 लाख रुपये सेनेटाइजर पर खर्च किया. स्वास्थ्य विभाग ने भी इसी सामग्री के लिए लाखों फूंका. बावजूद जनपद मद से 32 लाख 47 हजार के सेनेटाइजर इलेक्ट्रॉनिक और स्टेशनरी दुकान से क्रय करना बताया गया है. कोविड के आड़ में 60 लाख से ज्यादा फूंका गया, जिसे जांच दल ने अनियमितता माना है.
किससे कितना वसूली
जांच दल की रिपोर्ट के मुताबिक जनपद में 3 साल में 1 करोड़ 56 लाख 54 हजार 152 रुपये की अनियमितता पाई गई है, जिसमें 1 करोड़ 47 लाख 87626 रुपये सीईओ एमएल मंडावी से वसूली योग्य बताया गया है. आहरण वितरण की सम्पूर्ण जवाबदारी सीईओ की होती है. ऐसे में बन्दरबांट में कई लोगों ने मजा मारा, लेकिन जवाबदार होने के नाते इसका हरजाना सीईओ को भरना पड़ा.
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