लखनऊ. त्योहारी सीजन के बीच प्रदेश में बिजली का संकट और गहरा गया है. कोयले की कमी से बिजली परियोजनाओं पर संकट के बादल छाए हुए हैं. बिजली परियोजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री ने पीएम को लिखा पत्र लिखा है. गांवो में 18 घंटे के बजाए 11 घंटे बिजली दी जा रही है. तहसीलों को 21.30 घंटे के बजाय करीब 17 घंटे और बुंदेलखंड को 30 घंटे के बजाय करीब 14 घंटे आपूर्ति हो पा रही है. यूपी में बिजली की मांग 17000 मेगावाट के आसपास है.

बता दें कि बिजलीघरों में कोयले का भंडार काफी कम बचा है. कोयले की आपूर्ति जल्द ही सामान्य न हुई तो पूरा प्रदेश बिजली संकट की चपेट में आ सकता है. स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कोयला मंत्री को पत्र भेजकर यूपी को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने और कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने का अनुरोध किया है. यूपी में बिजली व्यवस्था का दारोमदार राज्य के अपने चार बिजलीघरों के अलावा निजी क्षेत्र के आठ और एनटीपीसी के करीब डेढ़ दर्जन बिजलीघरों से मिलने वाली बिजली पर है. कोयले की कमी से लगभग 6873 मेगावाट क्षमता की इकाइयां या तो बंद हुई हैं या उनके उत्पादन में कमी करनी पड़ी है. इससे प्रदेश में बिजली की उपलब्धता घट गई है.

यूपी में बिजली की मांग 17000 मेगावाट के आसपास बनी हुई है, जबकि उपलब्धता 15000-16000 मेगावाट ही है. ऐसे में 2000 मेगावाट तक की कटौती करनी पड़ रही है. इसके चलते गांवों को 18 घंटे के बजाय 11 घंटे, तहसीलों को 21.30 घंटे के बजाय करीब 17 घंटे और बुंदेलखंड को 20 घंटे के बजाय करीब 14 घंटे ही आपूर्ति हो पा रही है. अलबत्ता कुछ जिलों में भी अघोषित कटौती हो रही है.