लखनऊ। हाथरस मामले में बसपा प्रमुख मायावती के ट्वीट पर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पलटवार किया है. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बसपा नेता को तथ्यों की जांच करने के बाद लिखने की सलाह भी दी है. उन्होंने कहा कि हाथरस के जिस मामले को आप धमकाना बता रही हैं, वो महज दोनों पक्षों के वकीलों के बीच आपसी कहासुनी भर थी. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बसपा प्रमुख को सचेत किया है कि यदि वे इस तरह से बिना तथ्यों की जांच पड़ताल के जनता को गलत जानकारी देंगी तो अन्य नेताओं की तरह वो भी यूपी की राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएंगी.
2. हाथरस काण्ड में नए तथ्यों का मा. हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लेकर गवाहों को धमकाने आदि की जाँच का आदेश देने से यूपी सरकार फिर कठघरे में है व लोग सोचने को मजबूर कि पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा? यह आम धारणा कि यूपी में अपराधियों का राज है व न्याय पाना अति-कठिन, क्या गलत है?
— Mayawati (@Mayawati) March 22, 2021
बसपा प्रमुख मायावती पर पलटवार करते हुए कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि आप भी प्रदेश की मुखिया रही हैं. आपको बिना तथ्यों के बोलना शोभा नहीं देता. आप अच्छी तरह से जानती हैं कि हाथरस मामले में दोनों पक्षों के वकीलों का आपसी विवाद था, जिसमें लड़की पक्ष के वकील द्वारा पहले दुर्व्यवहार किया गया है. यह लिखने से पहले एक बार तथ्यों की जांच तो करतीं बहनजी.
बीते चार वर्षों में प्रदेश की जनता ने यह बखूबी महसूस किया है कि आपराधिक घटनाओं में त्वरित कार्रवाई योगी सरकार की पहचान बनी है. इस बात को स्वयं आप भी नहीं झुठला सकतीं हैं बहनजी.
बहनजी आपके आस-पास मौजूद लोग अपनी छवि चमकाने के लिए गलत जानकारी दे रहे हैं. क्योंकि असलियत तो ये है कि जिन्हें आप गवाहों का धमकाना बता रही हैं, वह महज दोनों पक्षों के वकीलों की आपसी कहासुनी का मामला है.
आपको मानने वाले लोग आपकी कही बात पर विश्वास करते हैं. अगर आप भी अन्य नेताओं की तरह गलत जानकारी जनता को देंगी, तो अन्य नेताओं की तरह ही यूपी की राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएंगी. हाथरस का वर्तमान मामला दोनों पक्षों के वकीलों के आपसी कहासुनी का है.
बता दें कि 05 मार्च 2021 को उक्त केस में सुनवाई हुई थी, जिसमें पीड़िता की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने आरोप लगाया कि विपक्षी बचाव पक्ष के अधिवक्ता उन्हें धमकाया था. उक्त शिकायत के संबंध में जिला प्रशासन को कोई जानकारी नहीं थी न ही कोई शिकायत प्राप्त हुई थी. पीड़िता की अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय, लखनऊ बैंच में उक्त आशय की शिकायत करने पर उच्च न्यायालय द्वारा 19 मार्च को जनपद न्यायाधीश हाथरस को प्रकरण में जांच कर 15 दिन में रिर्पोट भेजने के निर्देश दिये गए थे.
राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को अग्रिम सुनवाई की दिनांक को समुचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है. जिला प्रशासन के मुताबिक पीड़ित परिवार की सुरक्षा में एक बटालियन सीआरपीएफ पहले से ही तैनात है, जो सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार के साथ सुरक्षा में लगे रहते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि, शिकायत मामले को जनपद हाथरस से अन्यत्र स्थानान्तरण कराने के उद्देश्य से की गई है.
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