महराजगंज. एक ऐसा गांव है, जहां जंगल ही जंगल है. इस गांव के ताल में 450 मगरमच्छ रहते हैं. साथ ही यहां के रहवासी कभी मगरमच्छ को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इस इस गांव में इंशान और मगरमच्छ एक साथ जिंदगी बिता रहे हैं. देश-विदेश से पर्यटक इस अनुपम दृश्य को देखने के लिए आते हैं. यहां मगरमच्छों को अठखेलियां करते हुए कभी भी देखा जा सकता है.

महराजगंज जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर बसा गांव भेड़िहारी का कटान टोला जहां आदमी के साथ मगरमच्छ भी रहते हैं. चारों ओर से जंगलों से घिरे इस गांव से सटे एक ताल में करीब 450 मगरमच्छ रहते हैं. जिन्हें सुबह शाम आसानी से देखा जा सकता है. ताल में निर्मित टीलों पर अपने बच्चों के साथ खेलते व झुंडों में मगरमच्छ लुभावने लगते हैं. जब मगरमच्छ अपने शिकार के लिए टीलों से पानी में छलांग लगाते हैं, तो नजारा देखते ही बनता है.

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बता दें कि नेपाल राष्ट्र के हिमालय पर्वत की चोटियों से निकली नारायणी नदी के तट व सोहगीबरवां वन्य जीव प्रभाग अंतर्गत निचलौल रेंज के मनोरम वादियों के बीच स्थित दर्जीनिया ताल तेजी से विकसित हो रही है. दर्जीनिया ताल मतलब मगरमच्छों का बसेरा है, जहां पर्यटन के अनगिनत रंग बिखरे हैं. दर्जीनिया ताल घूमने और मगरमच्छों को आसानी से घंटों तक देखने के लिए नवंबर से मार्च का महीना सबसे बेहतर माना जाता है.

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