लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दावा किया है कि वह मौजूदा चुनाव में 2007 के विधानसभा चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार है, जब उसने अपने दम पर बहुमत की सरकार बनाई थी. बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “यह विपक्ष के लिए एक झटका होने वाला है, क्योंकि वे हमें कम आंक रहे हैं. बसपा इस बार फिर से बहुमत की सरकार बनाएगी. 2017 के चुनावों की सबसे खराब स्थिति में भी बसपा के पास 22 प्रतिशत वोट शेयर हमेशा बरकरार था. जब इसमें 14 फीसदी ब्राह्मण जुड़ जाते हैं तो सरकार बनना तय है.”

सपा-रालोद और भाजपा के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि जाटवों सहित दलित मतदाताओं ने अपना आधार बदल लिया है, मिश्रा ने कहा, “दलित वोट एक प्रतिशत भी नहीं बदले (दूसरी पार्टी में शिफ्ट) हैं. विपक्षी दल इस बारे में सपना देख रहे हैं. भाजपा और सपा सरकारों में जिस तरह से दलितों पर अत्याचार किए गए हैं, उनका समर्थन करने वाले दलितों का सवाल ही नहीं उठता.” उन्होंने कहा कि वास्तव में मुसलमानों और जाटों ने भी इस बार बसपा का समर्थन किया है, क्योंकि पार्टी ने टिकट में सभी जातियों को मजबूत प्रतिनिधित्व दिया है. बसपा नेता ने दावा किया कि ब्राह्मण बड़े पैमाने पर बसपा का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “लोगों ने देखा है कि कैसे खुशी दुबे पिछले 19 महीनों से जेल में बंद हैं, जबकि एक मंत्री के बेटे को किसानों को कुचलने के बाद जमानत मिल जाती है. यह दोहरा मापदंड क्यों है? इस सब के कारण ऊंची जातियों में प्रतिक्रिया हुई है.”

इस आरोप के बारे में कि बसपा भाजपा की ‘बी’ टीम है, पार्टी सांसद ने कहा, “प्रतिद्वंद्वी ऐसे आरोप तब लगाते हैं जब उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं होता है. बसपा एकमात्र पार्टी है, जो भाजपा पर हमला कर रही है. कोई अन्य पार्टी करीब भी नहीं है. मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए भी जब-जब बीजेपी ने बसपा का समर्थन लिया है, बीजेपी कमजोर हुई है. लेकिन जब भी सपा सत्ता में आई तो भाजपा मजबूत हो गई. दोनों (पार्टी के नेता) रोज एक दूसरे से मिलते हैं. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिलते हैं और चुनाव से पहले योजना बनाते हैं. भाजपा नेताओं ने संसद में उनका आशीर्वाद लिया. कौन किसके साथ है, यह साफ है. वे सिर्फ लोगों को भ्रमित करने के लिए एक धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.” उन्होंने उन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि मायावती सेवानिवृत्ति की योजना बना रही हैं. उन्होंने कहा, “मायावती कई और वर्षों तक पार्टी को नियंत्रित करेंगी. मुझे याद है कि 15 साल पहले भी इसी तरह का सवाल पूछा जाता था.”