आज बुधवार है. आज भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है.  हम आपको आज एक मंदिर से जुड़ी सबसे दिलचस्प बात बताते है. वो ये कि यहां श्री गणेश की अराधना के लिए एक दीया हमेशा प्रजव्लित रहता है और इस दीप को नंददीप कहा जाता है. यह दीपक साल 1892 से लगातार श्री गणेश की उपासना के लिए जल रहा है.

भगवान गणेश के इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है जिसका निर्माण 1725 में सूबेदार रामजी महादेव बिवलकर ने करवाया था. मंदिर का परिसर सुंदर तालाब के एक किनारे बना हुआ है. ये पूर्व मुखी अष्टविनायक मंदिर पूरे महाराष्ट्र में काफी प्रसिद्ध है. यहां गणपति के साथ उनकी पत्निया रिद्धि और सिद्धि की मूर्तियां भी स्थापित हैं.

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  • जाने मंदिर के कुछ रोचक तथ्य

  1. मंदिर के चारों तरफ चार हाथियों की प्रतिमाएं बनाई गई हैं.
  2. मंदिर के ऊपर 25 फुट ऊंचा स्वर्ण शिखर निर्मित है.
  3. इसके नदी तट के उत्तरी भाग पर गौमुख है.
  4. मंदिर के पश्चिम में एक पवित्र तालाब भी बना है, जो इस मंदिर की शोभा बढ़ाता है.
  5. मंदिर में एक मुषक, नवग्रहों के देवताओं की मूर्तियां और एक शिवलिंग भी स्थापित है.
  6. अष्टविनायक वरदविनायक की खास बात है कि मंदिर के गर्भ गृह में भी श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति है.
  • ऐसे पहुंचे इस मंदिर

यह मंदिर मुंबई-पुणे हाइवे पर, पुणे से 80 किमी दूरी पर स्थित खोपोली में है. यहां मुबंई शहर से भी आसानी से जाया जा सकता है. भक्त अगर रेल के माध्यम से यहां जाना चाहते हैं तो कर्जत रेलवे स्टेशन या फिर खोपोली से भी जाया जा सकता है.