नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस (RSS) के विजयादशमी समारोह में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए देश में जनसंख्या पर समग्र नीति बनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी. हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा. जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने, जो सब पर समान रूप से लागू हो, किसी को छूट नहीं मिले, ऐसी नीति लाना चाहिए.

संघ के विजयादशमी समारोह में आयोजन में पहली महिला मुख्य अतिथि बनने का श्रेय हासिल करने वाली एवरेस्ट विजेता पद्मश्री संतोष यादव ने सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ शस्त्र पूजा में शामिल हुईं. इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने स्वयं सेवकों के जरिए देश को संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर, पानी, श्मशान सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी.

समाज में भेदभाव को खत्म करने की कही बात

उन्होंने कहा कि ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें तो हमें खत्म करनी होंगी. सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा. हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं. कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई तो जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला. आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की. उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों. उपचार तो बीमारी के बाद होता है.

केवल कॉलेजों में नहीं मिलते हैं संस्कार

संघ प्रमुख ने कहा कि सामाजिक आयोजनों में, जनमाध्यमों के द्वारा, नेताओं के द्वारा संस्कार मिलते हैं. केवल कॉलेजों से संस्कार नहीं मिलते हैं. केवल स्कूली शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. सबसे ज्यादा प्रभाव घर के वातावरण, समाज के वातावरण का होता है. नई शिक्षा नीति की बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन क्या हम अपनी भाषा में पढ़ना चाहते हैं? एक भ्रम है कि अंग्रेजी से रोजगार मिलता है. ऐसा नहीं है.

पीएफआई की गतिविधियों की ओर किया इशारा

मोहन भागवत ने इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पीएफआई की गतिविधियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमारे बीच दूरियां बढ़ाने के लिए सतत प्रयास करते रहते हैं, जिससे देश में आतंक का वातावरण बने. किसी को कोई डर न रहे, अनुशासन न रहे, ऐसा प्रयास हमेशा चलते रहते हैं. हम उनको पैठ दें, इसलिए वो हमसे नजदीकी जताते हैं. जाति, पंथ, संप्रदाय के नाम पर वो हमारे हमदर्द बनके आते हैं जबकि उनका अपना हित होता है. वो अपने हितों के लिए देश-समाज के विरोधी बन जाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने सचेत किया कि जो कार्रवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं.

खिलाड़ियों ने प्रदर्शन से चौड़ा किया सीना

कोरोना से विपदा से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वो आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं. खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है. खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है. हमें प्रगति करनी है तो स्वयं को जानना होगा. हमें परिस्थितियों के अनुकूल लचीला होना पड़ता है. हालांकि, हम ये देखना होगा कि कितना लचीला होना और किन परिस्थितियों में होना है. अगर वक्त की मांग के अनुसार खुद को नहीं बदलेंगे तो यह हमारी प्रगति का बड़ा बाधक साबित होगा.

आरएसएस में होता रहा है महिलाओं का सम्मान

आरएसएस के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी पर सरसंघचालक ने कहा कि डॉक्टर साहब (डॉक्टर हेडगेवार) के वक्त से ही यह हो रहा है. अनसूइया काले से लेकर कई महिलाओं ने आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ली. वैसे भी हम आधी आबादी को सम्मान और उचित भागीदारी तो देनी ही होगी. उन्होंने कहा कि जो काम पुरुष कर सकता है, वो सब काम मातृशक्ति भी कर सकती है. लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सब काम पुरुष नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की पूर्ण शक्ति सामने नहीं आएगी.

संतोष यादव ने संकल्पों को बल देने की कही बात

मुख्य अतिथि पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव ने बताया कि उन्हें उनके आचरण से लोग पूछते थे कि क्या वो संघी हैं? उन्होंने कहा कि मुझे तब पता नहीं होता था कि वो क्या पूछ रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुझे तब पता नहीं था कि संघ क्या है? संघी क्या होता है? आज मेरा प्रारब्ध मुझे संघ के सर्वोच्च मंच पर ले आया. उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि आप जिस संकल्प के साथ, निःस्वार्थ भाव से 97 वर्षों से लगे हुए हैं उन संकल्पों और निःस्वार्थ भावों को और बल दें और आगे बढ़ते रहें. मैं आपके साथ हूं. आपने मुझे बल दिया. हम आपको बल देंगे.

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